आस
उडीक री देळ्यां माथै
जळतो दीवो है
जको कैवै
आखड़ो भलांई
गिर भी सको
टूट भी सको
पण मरणो नीं है।
थे भेळा कर'र
किरचा-किरचा
रच'र वजूद पाछो
आ सको पाछा
दोगळेपण
आलोचनां
मांड्योडा आडंबरां नैं
तोड़ा’र।
ख्याल रैवै कै
माटी सूं
रचीज्योड़ा नैं
इब माटी मांय
मिलावण री
धूंस
थोथो मजाक है।
आस री डांडी
काठ री हांडी नीं है
इण माथै
चालणियां
फूट सकै
चट्टानां रो सीनो फाड़'र
अेक कूपळ दाई
कदै ई।