आंसू री भासा

व्है है बौत मुखर

नीं समझो इणां नै बूंद

समन्दर सूं गैरो व्है है

अेक कतरो आंसू।

सबद नीं कैय पावै है

जको कैय देवै आंसू

नीं समझो इण नै बूंद

समन्दर सूं गैरो व्है है

अेक कतरो आंसूं।

जुबान नीं कैय पावै

वो कैय देवै है आंसूं

ताकतवर घणां व्है है

दिल ने घायल कर देवै

अेक कतरो आंसूं।

रोकण सूं नीं रुकै

गम अर खुसी रा आंसू

छलक’र खुसी या दरद

बयान कर देवै है

अेक कतरो आंसू।

भड़क जावै जद दरद

छलक जावै है आंसू

अगर पलक माथै रुक जाय

तो अंगार बण जावै है

अेक कतरो आंसू।

सूनी आंख्यां सूं बेवै है

बाट जोवता आंसू

किणीं रो मन भिजौ देवै

अेक कतरो आंसूं।

कमजोर पड़ जावै है

जका सै नीं सके आंसू

दूरियां मिटा देवै है

अेक कतरो आंसूं।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत फरवरी-मार्च ,
  • सिरजक : ज़ेबा रशीद ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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