थिर व्है लिपि
ज्यूं मूरत पथर री
अर रस्तौ बतावै आखर
देवै अेक अरथ
पण भाव
सुतंतर व्है
चालै जियां वायरौ
अर छावै
ज्यूं कंवळा बादळा
न व्है कदैई ठंडी छियां
अर कदै'ई पसरै जियां तावडौ
तीखा व्है
तीर अर तलवार
जैर-सूळ दाई
अर व्है गैरा
इतरा कै
धरती नैं हियौ,
मुळक इणरी
करै मार
ऊंडै ताई।