हर किरण कर लियो
अन्धारै सूं करार
अबै किण सूरज पर
पतियारो करां!
हर कलम ई बिकगी
जद राज दरबार
अबै किण कलम पर
पतियारो करां!
हर रिस्ता झाली
चांदी री तलवार
अबै किण मसीहा री
दोस्ती पर बिस्वास करां!
हर भींत री नींव
खड़ी है थोथ माथै
अबै किण छात पर
पतियारो करां!
धरम बण रैयो
राजनीति री सतरंज
अबै किण हरावळ पर
बिस्वास करां!
हर पगां में बंधी
अणदिखती बेड़ी
अबै किसी आजादी पर
पतियारो करां!
सै जीभां माथै लागी
राज री मोहर
अबै किण आवाज पर
बिस्वास करां!
हर काफलो गुम रैयो
भीड़ रै जंगळां
अबै किण हरावळ पर
पतियारो करां!
मिनख ई नीं रैयो
मिनख नीं
किसै मिनखाचारै माथै
भरोसो करां?