आज

घर अबोलौ ऊभौ है मां!

नीं बधियौ

लेवण नै

सांम्ही आंगणौ

नीं लिया

रसोई

म्हारा अवरणा

आज हाथ नीं हौ

माथै पे छीणां ही

आज

म्हारौ बाळपणौ छूट गियौ!

स्रोत
  • पोथी : घर तौ एक नाम है भरोसै रौ ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • प्रकाशक : रम्मत प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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