अेक कविता
आपरै जलम री तिथ
सौदै जिण सिंसार में!
अेक सावत्तरी
परायै मिनख नै
भगाय’र ले ज्यावै
इम्फाला कार में!
हे खुसरो!
इण आडी रौ
औ इज अरथ जांणौ
कै सावत्तरी सूं अळगौ नीं
कविता रौ ठिकांणौ।