भर लाई नेह रो नीर, काळी बादळी।

घर आवो जी प्यारा पीव, तीजां काजळी॥

बूंद-बूंद रस मेहो झरियो,

सावण हरियो, सरवर भरियो,

बुजी पपीहा पीड़, कोयल कूकै बावळी।

घर आवो जी प्यारा, पीव तीजां काजळी॥

बागां-बागां पड़िया झूला,

भंवर-भांवरा भरर्‌या फूलां,

काटां उळझ्यो चीर, लीर व्हैगी कांचळी।

घर आवो जी प्यारा पीव, तीजां काजळी॥

नीम्बू पाक, नारंगी झूमी,

रूंख वेलड़्या जाय विलूमी,

रसिया खाटी चू, अळसाई आमली।

घर आवो जी प्यारा पीव, तीजां काजळी॥

थां बिन कूण करै म्हासूं वातां,

घोर अंधारी काळी रातां,

थर-थर कांपै गात, रात जाग्यां ढळी।

घर आवो जी प्यारा पीव, तीजां काजळी॥

स्रोत
  • पोथी : आखर मंडिया मांडणा ,
  • सिरजक : फतहलाल गुर्जर ‘अनोखा’ ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भासा, साहित्य अर संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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