आ जमीन आपणी आपां जमीन रा धणी
खोस न लेवै कोई सुई बराबरी अणी
जे देस पर चढ़ै कोई तौ चीरद्यो बठै
जे हेम पर बढ़ै कोई तो फेंक द्यो बठै
जै आंख झांक ले तौ थे फौड़ द्यो बठै
जे पग्ग नांख दे तो थे तौड़ द्यो बठै
थे सिंघ रा सपूत थांरी मात सिंघणी
खोस न लेवै कोई सुई बराबरी अणी
जे पाक धाक दे दो थे सामलौ उठौ
कसमीर पर चढ़ै तो थे समसीर ले उठौ
इक धर्म की बो बात कै सब धर्म थे उठौ
इक बम्म की वो बात कै हर बम कै उठौ
जम भी न ले सकै लौ नाग जींवतां मणी
आ जमीन आपणी आपां जमीन रा धणी
जाग सिक्ख जाग बोल सत्तश्री अकाल रै
जाग जाट जाग, जाग मोरचा सम्भाल रै
जाग तूं मुसलमां लूण कर हलाल रै
जाग राजपूत जाग दुष्ट नै दकाल
मोत सूं हंस बोल खेल शीश बीजणी
खोस न लेवै कोई सुई बराबरी अणी
जाग हिन्द लाडला तूं भेद भाव छोड़ रै
जात पांत री लकीर अेक साथ तौड़ रै
आण मान पर सदा तूं मूंछ नै मरोड़ रै
बोल री रणभेरियां है जाग तूं राठौड़ रै
जे हिन्द घोस बोल तौड़ नाग री फणी
आ जमीन आपणी आपां जमीन रा धणी।