बैठ बात करां

हथाली पर हथाळी मार'र

खिलखिलावां

आमण-दूमणै खिणां री

मजाक उडावां

कंठ सूं कंठ मिला

कोई गीत उगेरां,

जीवन-राग अलापां

दो डग तो है

धरती आपणां

अेक थूं भर

अेक म्हैं

नापां

मौत रौ पूंछ पकड़'र

भूंवा बावळी!

ईं री सांकळ

ढीली करां,

दांत तोड़ां,

गाली फोड़ां

पछै जीवन री

ओखद भरां

बैठ बात करां।

स्रोत
  • पोथी : आ बैठ बात करां ,
  • सिरजक : रामस्वरूप किसान ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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