बैठ बात करां

लेण-देण रौ हिसाब काढां

स्यात भोत कीं

मांगै थूं म्हारै में

जद-जद म्हैं टूट्यौ

संबल रौ सांधौ लगायौ

जद-जद म्हैं डिग्यौ

थूं थारौ खांदौ लगायौ

जद-जद

खाली हाथ

बा'वड़्यौ म्हैं घरां

हांस’र जेब में

हाथ मार्‌यौ

थूं म्हारी

देख्यौ तो कविता लाधी

रिपियां सूं घणौं मान दियौ

थूं म्हारी कविता नै

ठंडै चूल्है रै चौकै

गुमेज साथै बांचती रैयी थूं

म्हारी कविता बीच टाबरां

बैठ बात करां।

स्रोत
  • पोथी : आ बैठ बात करां ,
  • सिरजक : रामस्वरूप किसान ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै