बैठ बात करां

अेक-दूजै नै देखां

कित्ता बरस बीतग्या

सागै रैंवतै थकां,

कित्ता नेड़ै-नेड़ै रैया आपां

पण देख नीं सक्या अेक-दूजै नै

झूठ नीं बोलूं

म्हैं तो नीं दैख सक्यौ

थारी थूं जाणै

बरत्यौ अवस है

थारौ रूं-रूं

पण देख नीं सक्यौ

ठोडी रौ तिल जकै रौ रंग

म्हारी अणदेखी रै अंधारै रळग्यौ

माफ करज्यौ

औसाण नीं मिल्यौ

अै दांत कद टूटग्या थारा!

अर अै धोळा बाळ?

बैठ, गौर सूं देखूं थनै

कदे भाजौ-भाज में

जिनगाणी भाज नीं जावैI

स्रोत
  • पोथी : आ बैठ बात करां ,
  • सिरजक : रामस्वरूप किसान ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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