म्हैं खुद सूं

अणजाण हुयी हूं

इत्ती बार, कै

इण बार

म्हारो फेरूं

जाण-पिछाण करण रो

जी नीं करै।

स्रोत
  • सिरजक : सोनाली सुथार ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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