वा ‘शारदा ओल्ड अैज होम’ में वार्डन री नौकरी करण लागी। टैक्सी ड्राइवर अर अेक लुगाई अेक डोकरी नै स्हारो देयनै मांयनै लाया। उणां नै देखनै अनिला रै होठां ऊपर अेक मेहरबान मुळक अर आंख्यां मांय मोहब्बत भरी चमक ऊभरी।
“आओ मां जी..! ओ आपरो अपणो ई घर है।” कैवतां अनिला उण डोकरी नै स्हारो देय’र अेक कमरै में लेयगी। पिलंग माथै बैठायनै पाणी पिलायो।
“आप आराम करो, म्हैं उण लोगां नै सीख देयनै पाछी आवूं।” थोड़ी देर सूं वा बावड़ी।
“जिण आंगणै कदैई नर्गिस रा फूल खिलता हा। अबै उण जगै अेक किम नाम रै पामेरियन रै रैवण री जगै बणाय दिन्ही है। कोई गम नीं क्यूंकै साख सूं टूट्या पत्ता तो भेळा करनै राखण सूं खाद बण जावै है, पण सूखा दरखत कोई राखणा नीं चावै। हां बिटिया, म्हैं वा हूं। मां मोहब्बत रो खजानो है, पण कनै दौलत नीं तो बेटा ई क्यूं स्हारो देवै। मां री मोहब्बत री उणनै जरूरत नीं।” साजिया कैवै ही अर अनिला ऊभी सुणै ही।
“म्हैं तो वो बड़लो हूं, जिणरी छियां में उणरो बाळपण बीत्यो। उण ई म्हनै आंगणै सूं उखाड़ फेंक्यो। क्यूंकै म्हारी साखावां सूख गी है। चलो म्हनै इण बात रो कोई गम नीं। कोई बिना कारण ठूंठ जैड़ा दरखत नै आपरै आंगणै में क्यूं जगै घेरण देवै। जदकै पैलां वो म्हारी छियां हेटै रैवतो हो। उणनै म्हारी जरूरत ही। पण आज म्हारी जरूरत..? हां बेटा, थूं ठीक ई तो कर्यो, जिको जोड़ायत रै कैवतांई घर रो फालतू सामान समझ म्हनै बारै काढ दीन्ही। हां, बहू अेक आधुनिक जुग री लड़की है। जूनी-पुराणी चीज-बस्तुआं सूं घर रो फूटराप क्यूं बिगाड़ैली। अेंटीक पीस सजावट खातर होवै है, पण हर घर वास्तै ओपतो नीं होवै।” साजिया जाणै खुद सूं बातां करै है।
अनिला नै लागो इणरो जख्म खायो दिल किणी तरै करार नीं पा रैयो है। सगळा जख्म धीरै-धीरै भरीज जावै है, पण औलाद रो दियो जख्म कदैई नीं भरीजै। नादान है बै लोग जिकां आं बडेरां री कदर नीं करै।
“सोय जावो मां जी..! जिको बगत बीतग्यो, अबै याद नीं करणो।”
“पण क्यूं..? प्लेट में दो फलका आवता तो म्हैं सोचती, कांई म्हैं आं रै पांती री दो रोटियां खायनै अपणो पेट भरूं..? इणां नै म्हारी दो रोटियां इत्ती अखरै है। म्हनै ओ गम खायग्यो। अबै म्हैं सोचूं हूं – अेक मां च्यार-छव बेटा अेक साथै पाळ-पोस सकै, पण च्यार-पांच बेटा मिल’र अेक मां नै रोटी नीं खवा सकै। ओ कैड़ो दस्तूर है? मां रै हाथां में छड़ी थमा’र किनारो कर लेवै है। आपरा सगळा फरज बिसर जावै। जे आ मां अैड़ो करती तो..? पालणै सूं पग जमीन माथै धरतांई आपरा हाथ लारै खींच लेती तो..? कांई बेटो मूंधै माथै जमीन ऊपर नीं पड़ जावतो। मां कदी खुदगरज नीं बणै..औलाद क्यूं खुदगरज बण जावै..? औलाद हजारां मांय अेक-आध ई फरज निभावै। जिका माता-पिता नै परवरिस रै बदळै मान अर स्हारो दिल सूं देवै है।
“म्हैं तो सुण्यो अर किताबां में पढ्यो कै मां-बाप नैं मोहब्बत सूं देखणो ई इबादत है। पण अफसोस आ सीख औलाद रै नैड़ै कर ई कोनी नीसरै।”
अनिला साजिया री बातां सुण’र सोचण लागी – “कदैई मालती देवी, कदैई सायरा, जमुना तो कदी कमला। सैंग री कहाणी अेक है। आं री कहाणियां में फरक ई कांई है? अै सगळी तो अेक ई मारग री मुसाफर है। जिंदगी रो सांच तो उण बगत मालूम होवै जद आधी सूं बत्ती उमर गुजर चुकी होवै। सांच तो निजर आ जावै है, पण मां रो जीव उणनै मानण नै त्यार नीं होवै। आपरी ममता में डूबी रैवै है…मां।”
“भलो होवै उण लोगां रो जिका ओ ओल्ड अेज होम’ बणवा दियो। म्हारै सिरखी बेसहारा बूढी औरतां माथै अैहसान करियो।” मेमूना री आवाज उणरै कमरै मांय गूंजती।
“अबै ऊमर रै आखरी पड़ाव माथै पूगनै जाण्यो जिंदगी कांई है?” मालती देवी कैवती।
“जणै ई तो लोग कैवै, कीं बचत करणी चाइजै। बूढापै में काम आवै। म्हारै कनै कीं रिपियां हा। पण म्हैं तो कान कतराय बैठी। कनै जको पूण-पावलो हो, बो ई हाथां उतार बैठी। अबै रोवूं करमां नै। जद तो बहू-बेटा खांड सरीखा लागै म्हनै। ओ कांई ठाह हो कै आक बण जावैला।”
अनिला नै नित नवा अनुभव हुवता। कालै ई तो नीमा देवी कैवै ही, “मां-बाप री कदर यतीमां सूं पूछो।”
“हां भई, औलाद होवै तो ई गम अर नीं होवै तो ई गम। दोनूं ई तरै री मां नै बूढापै में बेसहारा होवण रो खोफ रैवै।” सरीता बड़बड़ावै ही।
“मेडम, आप वार्डन हैं..?”
“हां” अनिला आवाज सुण’र चौंकी।
“बेटी, म्हैं इणरी पड़ोसण हूं। इणरो दुख नीं देख्यो गयो तो म्हैं अठै ले आई। इणनै बारी वाळो कमरो देवणो है।” साथै आई लुगाई बोली।
“अरी, म्हारी उमर कांई खिड़की सूं लोगां नै ताकण री है। म्हैं तो जवानी में ई कदेई खिड़की में खड़ी होयनै धणी रा बाट नीं जोयी हां, अबै आ ठीक कैवै...म्हैं बेटे रै आवण री बाट जोवूं।” साजिया रो सुर भींजग्यो।
“म्हारो चांद जैड़ो बेटो, म्हैं उणनै चांद कैवती। घणो हेत राखती ही। वो चांद री तरै ऊजळो हो, पण ब्याव होवता ई उणरै दिल री रंगत काळी होयगी। उण म्हारै सूं मूंडो फेर लियो। पैलां म्हनैं बारी तक पुगा दो।”
“ओह, अबै इत्ती भी कांई खतावळ है..? अबै तो छेकड़ली सांस तांई अठै ईज रैवणो है।” साथै आई लुगाई कैयो।
“तू म्हारी हंसी उड़ावै है। जा अबै थारी जरूरत नीं म्हनै। जाव परी।” वा नाराज होयगी।
“नाराज मती होवो मांजी..! म्हैं जाणूं हूं, आपरो बेटो जरूर आवैला। अनिला उणनै समझावती व्हील चेयर बारी कनै राख दी।”
“हां कदी तो वो आवैला। उम्मीद री डोर सूं बंधी म्हैं मजबूर हूं रास्तो ताकण खातर। बेटी अल्लाह चावै तो भीड़ रै अणजाण चैरां रै बीचै म्हारै बेटै रो चैरो निजर आ सकै।” उणरै सुर में अेक तड़प ही। आंख्यां नम होयगी।
म्हैं सारा दरद पानां ऊपर उतारती रैवती। दिल रो बोझ तो तम हो जातो, पण जिणां नै सही मायना में इणां रो दरद, गम सूं वाकिफ होवणो चाइजै, वो तो इणां सूं दूर आपरी जिंदगी री रंगीनियां मांय रैवै। बिना अंजाम जाणे कै आगै म्हारो कांई होवैला? कदी नीं सोचै कै म्हां सूं म्हारी औलाद कांई सीखै है। अबै किण नै परवाह है मां री तड़फ री।
लिखतां-लिखतां पाना रंगती गई। पण जिणां नै पढणो चाइजै, उणा नै अेक निज़र ई इण पाना माथै डालणो गवारो नीं। मां री मोहब्बत बेगरज होवै है। वा इज्जत अर मोहब्बत ई तो मांगै। पण बगत रै साथै ख्वाहिशां हवा होयगी। पाना हवा रै तेज झोंकां सूं कमरै मांय अठी-उठी म्हारै आगती-पागती उड़ रैया है।
इण ओल्ड अैज होम मांय खाली ख्वाहिशां ई तो जिन्दा है। जिस्म तो कतई बेजान है। अठै भेज’र कोई औलाद पाछो फिरनै झूठै मिस सूं ई किण ई नै नीं कैयो – “मां, म्हैं थारी औलाद हूं।”
“बदकिस्मती रैयी म्हारी, म्हैं भूलगी, अै तो नवी पीढी रा है। बुढापै री लाठी कदेई टूटगी। जुग बदळग्यो। नवी पीढी री रंगीनियां में अेक कमजोर आवाज री पहुंच उणा रै कानां सूं कोसां दूर रैवै।” अनिला रै दिल मांय सैंग रो दरद उतरतो रैवै।
“इण औरत आसमान रै नीचै नित नवा सपना बुणनै अहसासां सूं, मन्नतां सूं आंख सूं टपकण वाळा आंसुवां रै कतरां सूं अर अेक कमजोर जिस्म रै लहू सूं उणनै अेक रूप दियो हो। अबखायां सूं लड़’र पैदा कर्यो हो। कालै तांई इण जिंदगी में मां री आंगळी पकड़’र चालणो सीख्यो हो। ज्यूंई वै हाथ कमजोर हुया कै किनारो कर लियो। बस अेक छड़ी पकड़ा’र किनारो कर लियो। आ सोचनै कै कुण धीरै-धीरै कदमां सूं कदम मिला’र इणरै साथै चालै। अपणो समै बरबाद करै। रिपिया जाया करै। कांई खूब सोचै है ओलाद।”
जोड़ायत तो कैवै, “म्हारी मोहब्बत री कीमत अदा करो।”
मां बदळै में क्यूं नीं कैवै, “म्हैं थनै कई महींना आपरै डील मांय राखनै थारी रक्षा करी है। थनै रूप दियो है। उणरी कीमत अदा करो।”
अनिला रो मन उणरी बातां सूं भारी हो जावतो।
“आ बात क्यूं भूल जावै है सगळा। बेटै री चाहत मां नै कठै-कठै ले जावै। बोलवां-मिन्नतां सूं पावै है। जद खुदा उणरी फरियाद सुण ले, वो दुनिया में आवै है। पगां ऊपर खड़ो करण में मां रै खुद पगां में छाला हो जावै है। फेरूं ई जख्मी पग लियां साथै चालण वास्तै आखिर तांई तैयार रैवै है। रातां में जाग’र खुद गीला में सोय’र सूखा में सुवण रो सकून देता-देता खुद जिंदगी रै छेहलै पड़ाव में गमां सूं भीज्या बिस्तर में हमेसा वास्तै सोय जावै है।”
अबै और नीं। अनिला सूं इण लुगाइयां रो दुख देख्यो नीं जावै। औलाद नै देखण वास्तै तरसती आंख्यां उणनै रुलावण लागती। वा इण सब सूं दूर भागणो चावती। उणरो जी करतो अेक-अेक री औलादां नै लायनै इणां रा दिल रा हाल बतावूं।
साजिया ई पुराणा अेलबम रा पाना पलटै ही। अतीत रा जरद चितराम देखै ही। उणरी आंख सूं अेक कतरो आंसू टपक्यो अर तसवीर ऊपर पड़ग्यो। पल्लै सूं पूंछ्यो तो ई लागै जाणै पूरी तसवीर भिंजो’र धुंधळी करग्यो।
सांच है किणनै ई इत्तो मती चावो कै उणरी जुदाई बरदास्त नीं कर सको। पण म्हैं तो मां हूं…जमानै में अपणी औलाद सूं दुनिया री कोई मोहब्बत…कोई दोस्ती…मां-बाप री मोहब्बत अर दोस्ती सूं कोई मुकाबलो नीं कर सकै।
भूल सूं ई कदैई मां औलाद नै ठुकरा दे तो जमानो कैय देवै मां-बाप बेरहम है। औलाद रो तो मां री गोद अर पिता री छियां पर हक होवै है। पण म्हां उणां कानी हाथ बढावां तो वै कतरावै है। चंद नोट थमा मां रै दूध री कीमत अदा करण रो दावो करै है, पण मां तो नोट नीं…मोहब्बत चावै है। मां-बेटा करीब हुवता भी बंटवारा रो दरद झेलै है, क्यूंकै ओ फैसलौ बहू रो होवै है। जिणनै चाय’र राणी बणा’र लाई ही, वा ईज अबै दुसमण बणगी। उणी घर में वा आपरो अेकछतर राज चावै है। बहूराणी जिकी कैवावै है।
“म्हां च्यार लोगां रो गुजारो घणी मुसकल सूं चालै है, थानै कीकर कवा देवां..?”
आज रूरमा देवी नीं रैयी। उणनै ले जावण री तैयारी होयगी। सगळा उणरै बेटै री बाट जोवै हा।
“बस रैवण दो…सब इन्तजाम होयग्यो है, पण थे आय’र इणरी अरथी नै कांधो दे दो। अेक बूढो जिस्म चल्यो गयो। कालै आप ई बूढा होवोला।” चौकीदार उणरै बेटै नै फओन माथै नाराज होवता कैयो।
“स्यात कालै थानै भी रुक्मा देवी री तरै आंसू बैवाणां पड़ जाय।”
अनिला अबै इण ओल्ड अैज होम मांय सगळा री बेबसी, मजबूरी, थाक्योड़ी आंख्यां सूं आपणां री उडीक करतां देख टूट जाती। कोई भी मौसम हो, पण अठै हमेसा उदास मौसम रैवै। बुढापै री चादर में लिपट्या लोग जिणां रै चैरै री झुर्रियां में आंसूवां री लकीरां रैवती अर माथै पर पड़ी झुर्रियां मांय बेचैनी नजर आती। फेरूं ई कित्तो बड़ो दिल है इणा रो। जिकी औलाद इणां नै गम में डुबोय’र छोड दिया, उणी औलाद री यादां आंचळ में समेटियां सोचै है, सारा जख्म अेक दिन भरीज जावैला।
आज साजिया आंटी री बातां उणरै दिल माथै गहरो घव कर दियो। कित्ती सरल अपणास लियां है फेर भी इत्ता गमां रो बोझ उठायां फिरै हा। म्हैं इणां रो दुख दूर नीं कर सकूं। पण अबै और नीं देख सकूं। नीं सैय सकूं। अनिला फैसलो कर लियो अबै आ नौकरी छोड़ दूंली अर इण सब सूं आगी जाऊंली। इत्ती दूर जठै औलाद वास्तै तरसती आंख्यां रो दरद देखणनै नीं मिलै।
सुबै अनिला नै देखतां पाण ई सब रा चैरा खिल उठता। सब रै दुख दरद में भेळी ही वा। अबै नीं रैवणो चावै। उण सगळां रै ऊपर निजर नाखी। मांय ई मांय सोचण लागी, कीकर कैवूं इणां नै कै म्हैं थां सबसूं दूर जावण रो फैसलो कर चुकी हूं। पण इण ओल्ड अैज होम में रैवण वाळी हर औरत सूं म्हारो कोई न कोई रिस्तो है। कोई मां है, आंटी है, मौसी है, चाची है, सहेली है या दादी है…पछै?
वा जी काठो कर भाटो बण गेट सूं बारै जावण वास्तै उठी। जाणै बगत री सूईयां बगत रो हवालो दे रैयी ही। उणरै दिल मांय अेक अजीब-सो दुख जलम ले रैयो हो। अै म्हारी आपणी कोई नीं। क्यूं इणां सूं दूर जावण रो गम म्हनै तड़पावै है।
खून रै रिस्तां सूं जुदा होवण रो गम होवै है? …हरगिज नीं। नीं तो ओ सब कदेई नीं होवतो। खून रो होवै या ज़ज्बात रो रिस्तो। दोनूं ई रिस्तां रो महतव अेक दूजां सूं जुदा होवै है।
पण अेक-दूजा सूं कम नीं होवै है।
आज म्हारा पग क्यूं जम रैया है। म्हैं दूर जावणी चावूं हूं। इण सब सूं दूर…ओह नीं जा सकूं।
लोग गळत कैवै है, खून रा रिस्तां सूं जुदा होवण रो गम हुया करै… नीं, म्हैं तो कैवूं हूं कै आपणां सूं जुदा होवण रो गम होवै है। साच तो ओ है।
म्हैं ई तो हूं इणां री आपणी…सबरी प्यारी बेटी…किणी री नाती…किणी री सखी। कैड़ा-कैड़ा रिस्तां सूं जुड़ी…सब री प्यारी बेटी…किणी री…कैड़ा-कैड़ा रिस्ता, पण नीं सबसूं बढ’र अेक ई रिस्तो – दिल रो रिस्तो। सब री प्यारी बिटिया…हां, म्हैं सब री लाडली…सब री लाडेसर।