जड़िया आपरी झूंपड़ी रै कनै खेजड़ी सूं लाग्योड़ै माळै री छींया आडी हुयोड़ी रीस री झाळां में उफणती बड़बड़ाय रैयी ही—“थारौ खोज जावै रै बाघसिंह म्हारा मोबी नै हाक फंसाय दियो रै...थारौ मोबी मरै रे...थारी राण्ड रौ चूड़ौ उतरै रे...साथै वा आपरै कजळा-ईजतै मन आपकै बेटै नै कोसण लागगी—“राण्ड जायौ क्यूं तो पुरखियै रौ गवाही बणियौ अर क्यूं लोबौ लियौ...घर ग्वाड़ी बळो तौ उणरी...कठै इणरो बाप मरतौ...काठा हिया फूट’र हाथ में आयग्या चांदी री थाळी रै लोकण री मेख लगायदी पुलिस पकड़ लेगी...आपरै बाप रौ नांव न्यारौ कडायौ...हीडीकाडियौ जलमतौ मरग्यौ हुवतौ तौ अै दिन तौ देखणा नीं पड़ता जांणै तौ हौ ई’क गांव सत्तरै धड़ा में बिखटियोड़ौ है म्हैं इण कुणकियै रा कीकर पल्ला पातरूं...अबै छुडावै पुरखियौ अर उणरा काका। जणै तौ हगोड़ौ बणियो वा रै ढूंगा में बड़तौ रैयौ। जद पुलिस पकड़ लेगी तो कुण करै उणरी वार। वडेरा सांची कैयी—“लागै जिणरै चिर परै, दुखै जिण रै पीड़—नगटा रा ढूंगा कूटीजी तो आपौ आप अकल जा’यी गवाही देवणी कैड़ी दोरी हुवै”। अचाणचक उगनै धाँसी हाली अर देखताईं देखतां वा आपरी पासळियां में भेळी हुयगी। खेंखार नै आपरै हाथ में थूक’र अेक झटकैं सूं अेकांनी फैंक दिया। धाबळियै रै हाथ पूंछ आप पर भिनावण आली मांख्यां नै उडावती पाछी बड़बड़ावण लागगी—“पूरौ हफ्तौ हुयग्यौ, उणरा कांईं हाल हुवैला। भूख बावळी हुया करै। रोटी-टुकड़ा मिळिया हुवैला’क नीं...पुलिस थांणौ कठै रोटी अर राब वठै तौ जूतां अर लातां री मार। रोजीना रौ औई जीमणौ।

उण दिन जगमाया री अै सगळी बातां उणरै आंख्यां आगै घूमै ही। लारलै दिनां स्कूल में चोरी हुयी ही। भूरियै मेणै माथै सक-सोबौ हुयौ अर पुलिस पकड़ लेगी। लेजावण रै पेली चांवटै मांय उणरा हाड खोळा कर न्हाकिया हा। उण दिन पुलिस वाळा उणनै ढाण्डै री गत मारै हा। सांच बोलावण रै नांव अेक डण्डै सूं तौ दूजोड़ौ उणरी मा-भेण चढतौ लातां अर मूकां सूं मारै हौ। अर चोरी चावी हुयी तो पछै स्कूल रै रामै लातां अऱ मूकां सूं मारै हौ। अर चोरी चावी हुयी तो पछै स्कूल रै रामै चपरासी सूं इण मार-कूट रै कारणै बापड़ौ खावण-कमावण सूं तौ गियौ ई, आपरै अर आपरै टाबरां रै पेट रै पाटी बांध्यां लारलै च्यार महीनां सूं कण्टाळियै रै वैद जी कनै इलाज करायौ अर इलाज में आपरा दोन्यूं पाडा बेच पूरिया, पण हाल ताबै को आयो नीं। आंख्यां नै ओरनै सू पूंछती थकी बड़बड़ावती गी—“राण्डरा नै इण सूं तौ अकल लेवणी ही। लांठां रा तो डोका डांग माण्डै अर रावळौ तौ हमेसा वडौ रैयौ है। क्यूं उंदी सूझी, ठालो-वूलौ क्यूं पचड़ै में पड़ियौ? बड़ी मजूरी सूं तो गयौ जिकौ गयौ ई। उणरै बिगर छाळियाँ रौ अेवड़ निरनौ-तिस्सौ। छाळियां-नारियां री बात कठै आंनै दांणां-पाणी। कुण न्हाकै आंनै दांणां अर कुण भरै आं खातर तगरौ। म्हनै तो धूजणियो ताव पकड़ लियौ। उठण बैठण री हरदा नीं। मर जावूं तौ मूकोत्तर जावूं।

अेकर फेरूं धांसी घेरली तौ आपै सूं आफ्ळ’र बैठी हुयी। खेंखार थूक’र आपरी फाट्योड़ी गुद्ड़ी में बड़, बड़ावण लागगी “हे पाबू धणी। म्है तौ थ्हनै धावां...थूं बेली बणजै बापसी...म्हारै मोबी रै भेळौ मिळजै म्हारा देव...म्हैं हावळ हुंवतांईं थारै फेरू देवू...हवा रिपियै रो परसाद चढ़ावूं म्हारौ वौ बेकसूर है...दुसमणां री गाबड़ पर बैठ वां री मनूरी फेरजै बापसी वौ अल्ला री गाय है। आज लग अेड़ै जात-परवार में जलम लेयनै चोरी को करी नीं जद’क इण जात रौ तौ पेलौ धरम व्है है चोरी। हे पाबूजी बापसी सांचा नै थूं उबारै उणनै उबार जै म्हारा अन्नदाता।

ताव में हळा बोळ हुयगी तौ हरफ अमूंझण लागा अर दांतां कड़कड़ी छूटगी। आपरौ पसवाड़ौ फेर मैली गुदड़ी नै तांण’र ओढ़ली। गुदड़ी नै तांणती बगत उणरै हाथां में परियोड़ी बंगड़ियां खणखणायणी। तगरै रै अेड़ै-गेड़ै फिरता-गिरता चिड़ी कमेड़ा अेक-दूजै री आंख्यां री आंख्यां में आंख्यां घाली। बंगड़ियां कांनी भाळयां। कीं विस्वास हुयां आपरै पांखड़ा नै फड़काय पाछी पैली आळी गत पकड़ली।

बा बोरी रै पलियै माथै सूती ही। उण रै कनै फाट्योड़ी पगरख्यां डांगड़ी अर डांगड़ी रै नेड़ै चारौ वाडानी दातरली सूं लिपट्योड़ी अंगरखी पड़ी ही। तगरै रै अेड़ै-गेड़ै फिरता-गिरता चिड़ी कमेड़ा अठै आय पाछा बूवा जावता, पण लारलै हफ्तै भर सूं वां में सदैई आळी उछळ-कूद निंगे को आवै ही नीं। हां माळै री थोबळियां माथै चडती उतरती दो टिलोड़्यां राती टूल रै घाघरै री फाट्योड़ी छींदी मूण्डै में घाल्यां अेक-दूजै रै आगै लारै नाय रैयी ही। अर पळियै रै नेड़ै चिड़ी-कमेड़ां रै पंजा रै निसांणां में कीं कीड़ियां दांणै री भाळ करै ही तौ कीं वां री बींटा माथै अेक-दूजी सूं हिळती-मिळती निजर आवै ही।

दिन मथारै आय पूग्यौ हौ। उणरै पगां सूं छींया भेळी हुयगी ही अर तावड़ो पसरतौ जाय रैयौ हौ। अचाणचक अेक कुत्तियौ रौयौ तौ उणरी नींद उडगी। वा आपरै धूजतै हरफां पाछी बड़बड़ावण लागगी। “म्हारी मौत म्हारौ काळ अबै म्हैं मरजावूं अबै उणरौ कांईं हुयी मन उपजी नीं-नीं बड़बड़ाती रैयी। कठैई खेजड़ी अर थोबळियां माथै रोळा करती टिलोड़ियां छाती सूं धड़कती थकी ऊँचा कांन कर’र कुत्तियै कांनी भाळण लागगी। उण बगत घाघरै री छींदी आपौ, आप खेजडी रै गोडां में पड़ियोड़ी दीरां री मथारी माथै आयगी पड़गी ही। कीं जेज हुयां कुत्तियौ पाछौ रोयौ अर कुन्ऽऽकुन् कुनावतौ थकौ उणरी गुदड़ी अर जकीं नै सूंघतौ तगरै कांनीं वदियौ। तगरै रै आजू-बाजू सूं चिड़ी कमेड़ा आपौ-आप फुर-उड़’र आपरौ मारग नाप लियौ अर कुत्तियौ पंजा सूं धूड़ उकेर’र पूंछ कांनी माथौ दबायां खेजड़ी री छींयां कुण्डाळियौ घाल भेळौ हुयग्यौ।

सरवार अर रोजोलै री कांकड़। अेकांनी सिन्दरियौ बेरौ। बेरै कनै गोळियौ नाडो। दूजै कांनी सत्तीयां रो अस्थान अर उणसूं लाग्योड़ी कैरड़ी नाडी। नाडी अर नाडै रै आंतरै दो खेत खेतां रै बीचौ-बीच पांच-सांत झूंपड़ा री ढ़ांणी। जठै’क मादियै री मा जड़िया, कुत्तयौ, चिड़ी-कमेड़ा टिलोड़ियां अर पाबू धणी सूं दूजौ कोई कोनीं हा। यूं चिड़ी कमेड़ा तौ पैली फुर उडग्या हा अर जड़िया री आँख मिळगी ही। देव झूलणी ग्यारस रै दिन नेड़ै कैरड़ी माथै जबरदस्त मेलौ भरीजै। राजोलै गांव सूं निकळयोड़ी देवतां री रेवाड़ी अठै पूगै। मेळै में गांव रै वडा वडैरा सूं लगाय’र टाबर-टूबर भिळै। नाडी री अेक तीर डंटां रौ कजावौ अर दूजोड़ी तीर मोटी पसरियोड़ी जाळ। जाळ रै गोडां में झूंझरां रौ थांन थांन रै नेड़ै रेवाड़ी उतरै। रेवाड़ी उतरियां रे बाद काळूदास आपरा पगरखा अर कुरत्तौ उता’र देवतावां नै थाली में सजाय अंगोछै सूं ढ़ांप नाडी रै विचाळै जाय’र हिनान कराय बारै लाय जद तांई झालर नीं बजाय देवै बच्चियों नाडी में पग को धरै नीं। झालर बाज्यां नाडी में काकड़ियां मतीरा फेंकीजण लागै। साथै मिनख नाडी में तरै। तिरता-तिरता काकड़ियां मतीरां नै लेवता जावै। कीं खावै, कीं वा नै आगै खिसकावै अर वां रै भरोसै नाडी री तीर फाड़ै। उण बगत इण नायकां री ढ़ाणी रा पेट बदियोड़ा आधा-नागा टाबर कजावै माथै आय ऊभा व्है जावै। किणी रै हाथां में चवळां फळियां तौ किणी रै हाथां काकड़ियां री चीरियां तौ किणई रै हाथां गेडी रा घोचा निगै आवै। बठैं दूजै कांनी रेवाड़ी रै नेड़ै हरजस उगेरती-गावती गांव री लुगायां हिनान करतै अर तीर फाड़तै मिनखां नै भाळती रैवै। अर जद झाळर पाछी बाजै नाडी सूं निखळ सगळा मिनख रेवाड़ी कनै भेळा हुय जावै। परसाद बांटीजै। उणवगत नायकां री ढ़ाणी रा सगळा लोग परसाद लेवण पूगै। तदई तौ गांव रै डोकरै सूं लेय’र छोकरै तांईं नै ठा है’क कैरड़ी नाडी रै कनै नायकां री ढांगी बसियोड़ी है।

आखती-पाखती गांवां रै नायकां माथै लोग-बाग चोरी-जारी रौ सक-सुबौ करै, पण नायकां री चौकीदारी रौ आपरै चौताळै में धूंसौ बाजतौ रैयौ है। बदळै में आज लग कातिउगाली रो बेवाणियौ-पोयड़ौ, मोत-मरतंग सिगरी नेतौ अर ब्याव-सादी रै मोकै सीख मिळती आयी है। भूलै भटकै जे चोर अठै पूगईगा तौ अै वांरी आंतड़ियां सूं निकाळ’र ले आया। इण खातर अै खुफिया पुलिस सूंई बता चावा रैया है। कमीण-कुमारा रीं गिणती में आवण आळै इण घर री गांव में आज लग चौकी दारी रै मामलै में ठकराई रैयी है। साख गांव रौ सुखौ आळौ रूंखड़ो देवै।

जद कदै वूंडा वडेरा में बात हुवै वै बतावै—“केनियै-किसनियै रै जीवतां जी गांव रै अेक ढ़ीमड़ै माथै ढळती रात चोरी हुयगी ही। चोरी में दो गाड़ी धान, सोनै रा दो तिमणियां, पांच-सातेक किलौ चांदी अर दो नारकिया चोरीजगा हा। चोरी करण आळा नै आंरौ बाप महीनै भर मांय-मांय माल समैत पकड़ लायौ हौ अर बदळै में ढीमड़ै रा धणी चिमनौ बा हिखी राजी हुय’र उणनै अेक तिमणियौ इनाम दियौ हौ। पण इण सूं पैली आंरो बाप प्रण कर’र गांव सूं बारै निकळियौ हो’ क—“जदतांई म्हैं इण चोरी रौ पतो नीं लगाय लूं गांव में पग को राखूं-लानीं। अर तदतांईं म्हारौ परवार गांव रै बारै सखाड़ री कांकड़ रै नेड़ै आयोड़ै म्हारै खेतां में रैसी। अर आज जागा नायक केनियै-किसनियै री ढांणी रै नांव सूं चावी है। आज केनियै-किसनियै रै पोता तकातां रै टाबर हुयग्या तांई वै अठै रैवै।

लारलै बरस काळ पड़ियौ अर आंरा लगौलग मिनख-लुगाई दिसावर कमावण निकळगा। ढांणी में जड़िया, उणरी वडोड़ी तुलसां, वचेटी कंकू अर मादियै रौ वचेटियौ रामूड़ौ रैय रैया है।

उण दिन तुळसां आपरै भाई मादियै नै छुडावण खातर भतीजै रै सागै तिमणियां अर आपरी जोड़ा लेय’र मोळियै बेचण निकळगी ही। पैली रात गांव रा सरपंच अै समचार भिजवाय हा—“जे मादियै ने छुड़ावणी हुवै तो कीकर तीन हजार रिपियां रौ इंजाम करै। गांव में इण तरै रै कांमां में ठाकर अर सिरैपंच माहिर है। ब्याव-सादी चायै मौत मरतंग आं रै जरियै थांणै रौ नारेळ पूगै। अर केनियै नायक रै मरियां रै बाद नायकां रै सागै दस्तुर व्हेग्यौ। उण दिन अै बावर लागा’क तुळसां मोळियै रै सुगने सुनार नै अै रकमा बेच सरपंचा लग पूगगी ही, पण हाल ढांणी कोनीं पूगी। तुळसां सूं बचेटी कंकू अेवड़ उछे’र कांकड़ निकळगी ही।

मादियौ दिसावर सूं आयां रै पछै ढांणी में नीं रैय’र गांव में रैवण लाग्यौ है। सरकारी लोन लियौ है। लोन रै सागै उणनै सब-सीडी मिळी। अर आज बीस सूत्री कार्यक्रम री बदोलत पूरी चालीस छाळियां रै अैवड़ रो मालक है। लम्बों पूजतो डील, पगां में पगरख्यां घाल, हाथ में तड़ी अर कूंट लियां जद वौ टेरीलीन रौ लम्बौ कुरतौ पैर’र अैवड़ नै उछेरै तौ छाळियां उणरै लारै बोबाड़ा करती उणरै लारै बैवती जावै, यूं भोळौ-ढाळौ, पण पांचवी तांईं पोसाळ में भणियोड़ो। महाजनी हिसाब-किताब कर लेवै। गांव-ग्वाड़ी में कागद-पत्री लिख-वाच लेवै। जितौ स्यांणौ उत्तौ आपरै बाप-दादां री भांत चौकीदारी में घणौ खरौ। इन्याव रा सरू सूंई मोर भांगतौ रैयौ। अठै आयां सूं पैली अैमदाबाद सरीख से हर री अेक मोटी मील में मील मजूर युनियन रौ अध्यक्ष रैय चुक्यौ अर मजूरां रै हकां खातर लड़तौ रैयौ। वौ कदैई बतावै’क युनियन बाजी रै चक्करां में आपरी नौकरी गवांय दी। अर अबै अठै बैठौ-बैठौ लेबर कोर्ट रौ केस लड़ रैयौ है। महीनै छै महीनै अैंकादी पैसी जा आवै।

मादियौ अठै आयां रै बाद अणभव करक रैयौ है’क अैंमदाबाद वाळी मील सूं बता इत्याचार गांव आळां माथै हुय रैया है। आजादी रै तीस बरस बीत्यां सगळौ गांव गुलामी री घाणी में पिस रैयौ है। चिड़ी रौ जायौ कोई ठाकुर री मरजी रै परबारौ पग को धर सकै नीं। हाल वड़ी-मजूरी सूं लेय’र रावळी पोळ माथै बुलाय’र गुनागारी घालण री परम्परा कायम है। अठा लग’क जदतांई ठाकरां रा खेत नीं नीवड़ीजै बिच्चियां दूजां रै वड़ियौ नीं जाय सकै। जे उपरांत हुय’र जा’यी परौ तौ रावळै रा भाबा सिंझिया आवतांईं खाल खींच लेवै।...रामै हरगरै, लाछियै मेणै अर कुनियै कुमार रा नांव गिणाया जा सकै। अै रावळै रे परबारै हुय’र अेक दिन वड़िया गीयरा हा अर उण दिन सिंझियां रा घर बावड़ती बगत रावळै रा भाबा गांव रै फिलै वां री बंदोळी काडली ही। जद सूं गांव में गरीबां री चायै तिल्ली तिड़ौ पण रावळै रा डोका पैली वडै। इणरै अलावा गांव री केई कळियां खिलियां रै पैली मुरझाय जावै अर बात दबी री दबी रैय जावै।

इण बातां पर मादियौ लगौलगौ आपरै भायलां ने वकारतौ रैयौ है- “आपांरी देस आजाद हुयग्यो पण आपां हाल गुलाम हां। पूरै गांव में अठीनै लाय अर उठीनै आंधी आळी बात हुयोड़ी है। आपां अेकौ कर’र इण इन्याव नै मिटावणौ तेवड़लौ तौ अेक झटकै में खतम हुय सकै। पण लागै’क सगळां रौ पांणी उतरियोड़ौ है। सगळां री रगां में गुलामी रौ रगत घर करियोड़ौ है अर सगळां जणां इन्याव रा सीरी हुयोड़ा है।

छाळी री छींक बजार में कुण सुणै। उण दिन आई व्ही अर उणरा भायला इत्तौक कैयो’क— “मादिया कैणौ तौ घणौ सोरौ हुवै, पण करणौ घणौ दोरौ व्है। आगै कूण आय सकै अर यूं हाथी हजार दूबळौ हुवै तांई पाडां सूं तौ को पडै नीं। अर साम्ही ठाकर। सांच मांच रौ हाथी। वां सूं कूण वेर मोल लेवै। गांव रै किणी समझदार नै तौ बात को जचै नीं। सगला जाणां हां’क गांव में चायै पटवरी, तैसीलदार अर चायै थांणैदार आवौ फिळै वड़तांईं वांनै रावळी पोळ दीसै। आं अफसरां नै यूं आपांरै ठाकरां सूं की ईं धरावणौ नीं, पण वै गांव में आंरी ठकराई कायम राखणी चावै। वै जांणै है’क ठाकरां रै बीच में हुवतांईं वां री बाटियां सिकै अर मनचाई बातां बण जावै। वै सगळा समझै है’क कोई गुड़ सूं मरतौ हुवै तौ उणने जे’र देवण री जरूत कठै! अर आं अधिकरियां नै चाइजै कांई? अर आपांरै अठै पूगण री औकात कांई?”

मादियौ उण दिन सूं मांय मांय योजनावां बणावतौ-भांगतौ रैयौ अर आपरी नीची न्हाकी नीं।

कीं दिनां रै आंतरै अेक दिन आसण में लाय री लपटां उठण लागी। सगळौ गांव भेळौ हुयौ। धनजी बापसी रै सुखै अर उणरा लुगाई टाबरां ने गांव आळा लपटां सूं उबार लिया हा। लाय सूं वां री दो टोगड़ियां, अेक बकरी अर तीस-चालीस मण नेड़ौ धान बल भस्म हुयग्यौ हौ। इण रै मूल में बात ईत्ती’इज ही’ धनजी महाराज रौ पुरखौ आपरी बकरी रै लारै नावतौ नावतौ रावली पोळ गै उघाड़ै माथे पूगगौ हौ। उणरे बदळै रावळै रा भाबा उणरौ माथौ फाड़ दियौ। उण दिन वौ आपरै बचाव में वांरै साम्ही हुयग्यौ हो। दूजै दिन रावळी पोळ आगै पूरौ गांव भेळौ हुयौ। रावळी पोळ रै आगै उंघाड़ै माथै आवणै ने गंभीर मामलौ मानता थका पुरखै नै दोखी ठैरायौ गियौ साथै गुनागारी रै रूप में रावळी पोल री अेन अर न्याव मुजब उणमाथै कबूड़ा ने न्हाकरण अदमण बाजरी घाली। अर जद उणरा घरा नीं हांकरियां तौ तीजै दिन रावळै रा भाबा उणरै घर रै लाय लगाय दी।

चौताळै हाकौ फूटौ अर अखबारां में खबरां छपी तौ गांव में पैलीबार थांणौ आयौ हौ। पण पुलिस रे साम्ही चिड़ी रौ जायौ ठाकरां रै खिलाफ हरफ को हार सकियौ नीं। अर मादियौ आपनै जोखम में न्हाक, हिम्मत कर’र थांणैदार साम्ही गवाही दे आयौ हौ’क “आय लाय गांव रा ठाकर लगाई है।”

लाड़ी माथे ऊन कुण छोडै। पुलिस आई करी। ठाकरां सूं पाटी बैठाय दी। केस हळको हुयगौ अर वां री जामनी हाथौ हाथ वठैई हुयगी। रीत रौ रायतौ कर’र थांणौ पाछौ गीपरौ।

रावळी पोळ गांव री जाजम ढळी। मादियै नै गांव बारै रौ हेलौ दिराय दियौ गयौ। हुवकै पांणी बंद रौ पीटारौ गांव भाबी सागै पिटवायौ। अर सागै चेतावनी किरायी’क जे कोई मादियै सूं बोलै-चालेला अर उणनै बरतेला। उणरै सागै ई, सागै हुवैला।

दूजै दिन सूं मादियो अेकळ पणै पड़गियौ। लोग नीं चावतांईं, जठीनै बौ निकळतौ पूठ फैर लेवता। सगलौ गांव अेकण कांनी अर दूजै कांनी मादियौ हौ। मादियै रै सागै गांव में तरै-तरै सूं खोड़लायां हुवण लागी। छाळियां रा लूंगड़ा लग दूजै गांव री कांकड़ सूं लावणा पड़ता। कैई बार रावळै रा भाबा मचकावण री कोसिसां करी।

मादियौ घाट खाय’र गैर नाचै जाड़ौ हौ। किणी नै फूटै माथै हाथ को फेरण दियानीं। अेक दिन तौ वौ खूलौ अेलान कर दियौ हौ’क म्हारै रगां में रगत को ठस्योड़ौ है नीं। थांरी मां सोजतियौ अजमौ खायोड़ी है तौ म्हारी मां वोई खायौ है। अर जे साम्ही आवौला, म्हैं तौ मरूंलाईं दो च्यारां नै साथ ले मरूंला... म्हारी लुगाई तौ नातै जायी हार को मानी नीं। पुरखियै रै सागै दो दिन भायलां उणरै सागै मिलगा हा। अर उण दिन सूं गांव में चांदणी री ठौड़ धुंवा रा गोटका उठण लागगा हा।

मादियै रौ विद्रोह भड़कतौ गियौ। लाय आळै केस री नुंवै सिरै सूं जाँच करण रा आदेस हुया। जांच आदेसां रै सागै पेली आळै थांणैदार री थांणै सूं बदली हुयगी।

दूजी वार थांणौ आयग्यौ। गांव में हाको-हाक फूटगी ही। ठोड़-ठोड़ मादियै रौ नांव जूबान-जूबान गूंजण लाग्यौ। अै बातां रावळै में घणै रड़की तौ ठाकर गांव भाबी ने भेज मादियै नै बुलायौ हौ।

मादियै रै घर सूं व्हिर हुवण रै पैली उणरी मां सीख दीवी ही—“बेटा गांव राम है अर गांव रा ठाकर पूरै गांव रा मालक। राड़ आडी बाड़ भली। अेक ननौ सौ रोग टाळै। घेड़ में पड़या धनजी म्हाराज अर पुरखियौ। बगत पड़िया किणी री वाडी आंगळी माथैई को मूतै नीं।” अर उणरा भायला भरोसौ दिरायौ हौ’क—थूं गोडा मत टेकजै बीरा, रोयां सू इतियास नीं बदळीजै। नुंवी चेतना रै परताप नुंवौ इतियास रचीजै तद बौ जणां-जणां रै हियै चेतणा जगावण लागै। ऊखल में जद माथौ देय दियौ तौ धभकै सूं डरणे री कठै जरूत है नीं।

यूं खीज अर भोपा डपरी सूं मादियौ किणी रै बख में आवणियौ कठैई नीं हौ, पण रावळी पोळ पूग्यांईं उणरै कांनां में अै सागै सबद गूंज रैया हा।

साम्ही रावळी पोळ रै अेक घैंमें सूं निकळती चांदणै री आडी डोडी धारियां उणरै चेरै माथै बिखरण लागी। पण दूजै कांनी दूजै घैं में नुंवी-अवोट बिछीयोड़ी जाजम रै बीचौ-बीच ठाकर रै नेड़ै गादै माथै बैठे थांणैदार ने देख उणरी आंख्यां उबळण लागगी।

रावळै समैत पूरौ गांव थांणैदारां री चाकरी अर सरबरा में डूब्योड़ौ हौ। हरदेवै ढोली रै गांवणै-बजावणै रै सागै बोतलां अर गिलासां लड़थड़ाय रैयी ही। कदैई मून बापर जावती तौ कदैई हा होल्लौ मचण लागजावतौ।

पेग लेवता ठाकुर बाघसिंह मादियै कांनी इसारौ कर’र थांणैदार रै कांनां कीं फुसफसाया अर आपरी रातौड़ भरी आंख्यां नैताण’र मादियै नै केयौ- “सुण मादिया, जे गांव में रेणौ हुवै तौ धनियै अर रावलै रै केस में पड़ण री कत्तई दरकार कोनीं करै अर जे करैलो तौ व्हियौ-व्हियौ भुगतैला... पछैं भूण्डजै मती। अर नीं मांनै तौ थारी मरजी...इत्तौ कैय वै पाछौ पीवण लागग्या तौ बात बदावता उणरै नेड़ा बैठा मिनख मुंडै बातां करण लागग्या—

“घराणां में किस्सा कूपात्तर नीं जलमै, बापड़ै कैनियै रै सागै ओई हुयौ। खेर वौ तौ पैली मरग्यौ नींतर जे आज जीवतौ हुवतौ तौ जीवतौ मर जावतौ, बापड़े रै धोला में धूड़ न्यारी पड़ती।... “कोई इणनै समझाय बुझाय दो रे... नींतर बापड़ौ कुमौत मारियौ जा’यी। पछै जीम्यां तौ चळू व्है है। नींतर हाल बेटी बापरी है।”

मादियौ कीं जेज तांईं तौ सुणतौ-सुणतौ बगनौ सौ हुयग्यौ हौ, पण सागै ऊण्डै सोच में डूबतौ मन मन कैवण लाग्यौ— “मादियौ हिम्मत नी हार सकै, उणरी बगावत रौ तौ फळ है गांव में दूजी बार थांणौ आवणौ। थांणैदार री वदळी व्हैणी। रावळी पोळ गरज कर बुलावणौ।

पण कीं जेज हुयां अै सबद उणनै ठांणै खींच लाया— “कांईं मादिया भेजै में कीं बात जमी।”

वौ बात लियां-दियां बैठ्यौ हौ बाघसिंघ सूं बोल्यौ— “म्हा कमीण-कुमारां रौ आजलग रौ इतियास रैयौ है’ आप हुकम दियौ, म्है लोग माथौ वडाय दियौ।” इण पर ठाकर डोड में बोल्या हा— “म्हनै थारौ माथौ नीं चाइजै। थारै माथै री तौ थारी जूआं नै जरूरत है।” अर मादियौ पाछौ इतौ कैयौ हो— “जे आप साची बात पर माथौ मांगलौ तौ म्हैं हाजर कर देवूं, पण जठै भोळौ नै संतावै बठै मादियै रौ माथौ नींव नीं सकै।

देस आजाद हुयां तीस बरस बीतगा, पण हाल पूरौ गांव रावळै री अेन नै आपरी अेन गावतौ आयौ है। रावळै रा हर तरै रा तोख गांव रा मिख उठाय रैया है।

अचाणचक इण तरै री बातां अेक कमीण-कुमार रै मूण्डै सूं सूणी तो ठाकुर बाघसिंह रै काळजै किणी तीख सूळ री रड़क सी लागी। वै झाळ-झाळ हुयग्या अर वां री अख्यां में अेकण सागै केई बिजळियां खिंवण लागगी।... उण दिन कीं जेज हुयां लोईझांण हुयोडौ मादियौ रावळी पोळ रै बारै पड़ियौ कराय रैयौ हौ।

अर कीं दिनां रै आंतरै जद वौ ताबै आवण लागौ तौ पुलिस चोरी रै झूठै लासण में उणनै नागौरी गेणौ पेराय’र चांवटै रै बीचाळै हुय’र पकड़ लेगी... उण दिन पुळिस आळा नै लबूरण साम्ही हुयौ मादियै रो कुत्तौ अेक गोळी रै सागै धैं हुयग्यौ हौ अर पूरै गांव री हळफळाई भीड़ जिणमें उणरा भायला हा मादियै अर उणरै करावतै मां जड़िया हाल बड़बड़ाय रैयी है... अर वौ हाल थांणै में रिमाण्ड सागै क्रांति रा बीज बोय रैयौ है।

स्रोत
  • पोथी : सूरज उगाळी ,
  • सिरजक : मीठेस निरमोही’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी विभाग राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति श्रीडूंगरगढ़ (राजस्थान)
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