किणी गांव सूं दोय कोस आंतरै अेक सीरवी रौ ढांणौ हौ। साठेक बीघा मगरेटी जमीं रौ करसण। मारवाड़ में बादळां रै भरोसै पांणी रै बदळै दूजै-तीजै बरस कुररा अर काळ तौ नेगम बरसिया करै। इण जोखा सूं बचण वास्तै वौ सीरवी अेक बांणिया नै बोहरौ थरप काटा-मिती अर आकरा ब्याज रौ माथै लेहणौ मंडाय बेरौ खोदण री हीमत करी। गोडा हेटै दबियोड़ौ बकरियौ कसाई रै हाथ री छुरी सूं बचै तौ मारवाड़ रौ करसौ बांणिया रा कांन में खुसियोड़ी कलम सूं बचै। बेरा में सेजा रौ पांणी, बांणिया रौ लेहणौ, पगां हेटै मगरेटी जमीं, माथै बिना पत रा बादळा अर घर में बरस ब्यावणी घरवाळी—आं पांच दोखियां री बखड़ी में खुद भगवांन ई झिल जावै तौ मूंडा में त्रण लेय सौ वळां हार मानणी पड़ै, पछै मारवाड़ रै जलम-अभ्यागत बापड़ा करसा रौ कांईं गाढ़!
पीढ़ियां रै उण अखूट विखा रै बिचाळै उण सीरवी माथै अेक पटकी फेर उलळगी। बरस ब्यावणी वा सीरवण तौ मुकलावा रै पछै लगता दोय बरसां में दोय दोखियां नै लारै कुरळाता छोड नरकवाड़ा री जूंण सूं छूटगी। सीरवण रौ तौ जलम सुधरग्यौ। पण भाई गनायत मिळनै सीरवी रै साथै अेक आंटौ वळै साजियौ। अपणायत दरसावता वै उण सीरवी रौ नातौ करवाय दियौ। मां रा मरणा बिचै ई टाबरां वास्तै दुमात रौ पगफेरौ घणौ दोरौ व्है।
अबूझ बाळक कांईं समझै के मां रौ लाड कांईं व्है! वै तौ सावकी मां नै ई मां सस्तै जांणता। दुमात रै आयां बाप री निजर ई बदळ जावै। दोय बरस री बैन रोवतां-रोवतां, दुमात रा ठोला खावतां-खावतां सेवट अेक बरस रा भाई नै रमावणौ सीख ई गी। यूं ढुळकता आंसुवां, दुमात री धसळां अर ठोलां रै बिचाळै पूरौ अेक बरस थाल खायग्यौ। बैन तीन बरसां री व्हैगी अर भाई दोय बरसां रौ। बैन भायां री आंख्यां नै नित इण भांत बरसतां देख सांवण-भादवौ ई बरसण सूं डरग्यौ। करसां री भूखी-तिरसी आंख्यां सूखा आभा रै सांम्ही घणौ ई भाळियौ, पण बादळां रा दरसण नीं व्हिया सो नीं व्हिया। सेजा रौ पांणी तौ बादळां रै आसरै ई गुड़कै।
बांणिया रौ ब्याज तौ चालू हौ पण सेजा रौ पांणी खूटग्यौ। अर सीरवी रै नैणां री सीरां कांनीं-कांनीं सूं खुलगी। बेरा रै साथै जे वां नैणां रौ सेजौ ई खुट जावतौ तौ उण अभ्यागत सीरवी वास्तै विखा री बळती लाय सूं बचणौ दूभर व्है जातौ।
धणी लुगाई माळवै जावण रौ मतौ करियौ। सीरवण कह्यौ—आं दोनूं जमदूतां नै साथै लियां तौ माळवै ई झख नीं पड़ैला। आंनै अठै ई मार-मूरनै खिसक जावां तौ सावळ है।
सीरवी अटकतौ-अटकतौ कैवण लागौ—जायोड़ा बेटां नै हाथां मारणी तौ कीकर आवै?
सीरवण जोस बघारती निसंक भाव सूं कह्यौ—थांनै हाथ लगावण री ई जरूत कोनीं, म्हैं छांनै-ओलै सगळौ कांम सलटाय दूंला।
सीरवी रा ताळवा में जांणै कोई डूंजौ आयग्यौ। फेर वत्तौ अटकतौ धूजती वांणी में बोल्यौ—इण अकरम वास्तै म्हारा सूं तौ हां करणी ई नीं आवै। म्हारौ जीव अणूंतौ काचौ है। थारै जित्ती म्हारी हीमत कोनीं।
सीरवण मटका करती बोली—माथा माथै सोळा हाथ सूत रौ औ बिरथा भार क्यूं उखणियां फिरौ? हाथां में बिलिया पैर कड़ियां धाबळौ बांध लौ। म्हैं थांनै पूछण री ई धापनै भूल करी।
आ कैयनै सीरवण तौ झूंपा रै मांय खड़ां-खड़ां जावण लागी। सीरवी लारै दौड़ उणरौ हाथ पकड़ियौ। गळगळा कंठ सूं कैवण लागौ—भली आदमण आं टाबरां माथै नीं, म्हारै माथै थोड़ी दया विचार। बिरथा अै बाळ हित्यावां क्यूं ओढ़ै! मांनती व्है तौ म्हैं अेक जुगत बतावूं।
सीरवण कह्यौ—थांरी जुगत थारै पाखती राखौ, म्हैं तौ मरियां ईं आं सपळोटियां नै साथै नीं लेवूं।
सीरवी कैवण लागौ—म्हैं साथै लेवण रौ कद कैवूं! हित्या रौ पाप ई माथै नीं बंधै अर आं निधणिकां सूं लारौ छूट जावै, अैड़ौ उपाव बतावूं तौ थूं मांनै?
सीरवण थोड़ी ठाडी पड़नै बोली—थें पैला कीं कैवौ तौ सावळ जाच पड़ै। मांनण जैड़ी बात व्हैला तौ म्हैं अवस मांनूंला। बतावौ म्हैं थांरौ कैणौ कदै ई लोप्यौ?
घरवाळी नै फुसळावण रा भाव सूं सीरवी बोल्यौ—थारी होड़ तौ थूं इज करै। थूं तौ म्हारै घर री लिछमी है। फगत आठ-दसेक सोगरा अर हांडी राब सूं सगळौ कांम भरै पड़ जावैला। अपां आज ई माळवै वहीर व्है जावां। टाबरां नै करनाळौ घाल झूंपा रै मांय जड़दां। छींका में राब री हांडी अर सोगरा धरनै आं टाबरां नै आरै भाग भरोसै छोड दां। फगत वहीर व्हैती वगत थूं मां रा लाड सूं वांनै बतळाजै। कैजै के दैनगी माथै जाय सिंझ्या रा पाछा आवां। बिलमायोड़ा टाबर अपांनै कोडाया होय थोड़ा दिना तांईं उडीकैला। पछै भूखा अर तिरसा मरता मतै ई सूखनै खेलरौ व्है जावैला। भरमावण सूं वै रोवैला-रीकैला कोनीं। बता, म्हनै कैड़ौक नांमी उपाव सूझियौ?
सीरवण कह्यौ—ऊमर में आज पैली वार थें समझणी बात करी हौ।
घरवाळी नै लडावतां सीरवी बोल्यौ—
थारी संगत पछै ई म्हां में आ समझ वापरी है!
घरवाळी नै लडावणा सूं सीरवण थोड़ी-घणी पोगियां चढ़गी। वा झूंपा में जाय सावका बेटा-बेटी रौ सगी मां री गळाई लाड करियौ। लूगड़ी रा पल्ला सूं वांरी आंख्यां पूंछी। आपरा हाथ सूं वांरौ मूंडौ धोयौ। आंख्यां में काजळ सार्यौ।
वांनै बुचकारिया। गुळ रै उनमांन मीठी वांणी में वांनै बतळाया। आ सोचनै के अबै तौ आं लेहणायतां सूं लारौ छूट जावैला। इण मांमूली बात सूं ईं धणी राजी व्है तौ कांईं हांण! जकौ आपरै जायोड़ा बेटां सूं ईं नातौ तोड़ लियौ वौ म्हारा सूं लड़तां कांईं जेज करैला! लुगाई रौ ताबैदार अैड़ौ मोल्यौ मांटी दूजौ फेर नीं मिळैला। धणी रै कैणा मुजब पांच-सातेक सोगरा अर राब सूं भरी कुलड़ी वा छींकै धर दी।
सीरवी कह्यौ—पांचेक सोगरा वळै धर दै। कुलड़ी री ठौड़ राब री हांडी भरनै धर दै।
सीरवण मुळकनै बोली—थें ईं कैड़ी विलळी बातां करौ। इण वाखर सूं आखा बरस री गरज तौ भवै ई सरैला नीं। अै सपळोटिया पांच दिन में ठांणै लागै तौ वा ई बात अर दस दिन में ठांणै लागै तौ वा ई बात। सेवट पांचां-सातां अै तौ मर खुटैला ई, पछै धांन रौ धूड़ क्यूं करावौ! थें थोड़ी-घणी तौ अकल लड़ाया करौ।
सीरवी आपरी भूल कबूल करी। जांण्यौ आ ओदसा कठै ई भिमरगी तौ टाबरां नै बिछड़ती वेळा ई कूटियां बिना को मांनैला नीं। सीरवी रा अंतस में चापळियोड़ौ बाप वहीर व्हैती वगत टाबरां नै हंसता-मुळकता देखणी चावतौ हौ। लारै अदीठ में अरड़ावता-अरड़ावता मर ई जावै तौ कुण देखै! आंरी मौत तौ पांचां-सातां भवै ई टळैला नीं। इण वगत लाड सूं बुचकारता वहीर व्है जावां तौ निजोरा मन में सांयत मिळैला।
सीरवण धणी रा मन री बात भांप ली। उणरौ मन राखण सारू वा दोनां रै माथै लाड सूं हाथ फेरियौ। गालां माथै वाल्हा दिया। पछै गळवांणी ज्यूं मीठा सुर में मुळकती कैवण लागी—म्हारा स्यांणा लाडलां लारै थें आड़ौ मत लेजौ। माहौमाह खसजौ मती। म्हैं दैनगी माथै जाय सिंझ्या रा पाछा आवां। थारै रमण सारू दोय खुणखुणिया लावांला। इण छींका में सोगरा अर राब धरियोड़ी है। भूख लागै तद खाय लेजौ। टिमची माथै आ मटकी पड़ी है। तिरस लाग्यां पांणी पी लेजौ।
छींकौ अर टिमची दोनूं इत्ता ऊंचा हा के वां बैन-भायां रै पूगण रौ सवाल ई नीं हौ। अर वांनै अैड़ी बातां री कीं सोजी ई नीं ही। पण अबूझ व्हैतां थकां ईं वांनै आज मां रौ औ बरताव घणौ-घणौ सुहायौ। धसळां री ठौड़ आज री आ मीठी बोली, ठोलां री ठौड़ अै मीठा वाल्हा—टाबरां सारू आज हरख रौ पार नीं हौ।
सीरवण बेटी रै सांम्ही देखनै कैवण लागी—थूं लांठी है। छोटा भाई रौ अणूंतौ लाड राखजै। इण सूं किणी भांत रौ ईसकौ मत करजै। अबै म्हैं बारलौ कूंटौ जड़नै जावां। सिंझ्या रा पाछा आवां। देखूं बेटां, थें कैड़ाक डाया रैवौ।
पछै सीरवी दोनूं टाबरां नै खोळा में लेय वांरौ घणौ-घणौ लाड करियौ। घणा वाल्हा दिया। वौ मुळकण री आफळ करी तौ ई उणरी आंख्यां डबडब भरीजगी। उणरौ गळौ रुंधग्यौ। बाप रै मूंडा री आ रंगत देखी तौ बेटी मां रै सांम्ही देखनै तुतळावती कैवण लागी—मां थोलौ अठी देख, काका लोवै। म्हांलौ सोच क्यूं कलौ, म्हैं तौ सिंझ्या तांईं यूं ईं लमता-खेलता लाधांला। म्हैं म्हाला वीला नै घणौ ई लमावूंला।
बेटौ सीरवी रौ खत अपड़नै रमण लागौ। तद सीरवण आखती पड़नै बोली—अबै इण हेज नै फालतू क्यूं ढोळौ? चालौ, घणौ अबेळौ क्यूं करौ? लुगाई रै झिड़कतां ईं सीरवी नै चेतौ व्हियौ। दोनां नै खोळा सूं उतारिया। पछै सीरवण रै सांम्ही देखनै बोल्यौ—भली आदमण, थनै हाथ जोड़्, पांच-सातेक सोगरा तौ वळै धर दै। राब री ढुळ-दुळती हांडी भरनै धर दै।
सीरवण कूड़ौ आंमनौ जतळावती कह्यौ—आं काली बातां में कीं धर्यौ नीं। अपां कनै वत्तौ भातौ व्हियां तौ कांम ई आवैला। अठै बिरथा पापौ काटण में कांईं सार! फालतू रा अै ढपला म्हनै आछा नीं लागै।
मन-परबारी माडै ई सीरवी रा मूंडा सूं बात निकळगी—थनै अै फालतू रा ढपला ई निगै आवै! बता, थारै जायोड़ां नै थूं इण विध छोडनै जा सकै कांईं?
सीरवण जबाब दियौ—अै थोथा ढपला नीं तौ कांईं है! जायोड़ां नै इण विध छोडण में किसी बड़ी बात! थें थारै जायोड़ा नै छोडनै चालौ ई हौ! अै तौ वगत-वगत री बातां है। जैड़ौ बायरौ बाजै वैड़ी ओट तौ लेवणी ई पड़ै, बूढ़ा-बडेरा आ इज सीख देयग्या है।
बूढ़ा-बडेरां री सीख रै वास्तै सीरवी रा मन में कित्तौक कुरब-कायदौ हौ, आ तौ वौ ई जांणै, पण घरवाळी रै कैणा नै लोपणौ उणरै बस री बात नीं ही।
करनाळौ घालण री आवाज सुणनै बेटी झूंपा रै मांय बैठी जोर सूं बोली—
काका सिंझ्या ला पाछा वैगा आजौ। म्हांलै वास्तै खुणखुणिया लाजौ।
सीरवी होळै सूं बोल्यौ—हौ! हौ!!
सीरवण रै माथै भाता रौ खारौलियौ हौ। फेर ई कीं राली-गूदड़ा अर गाभा लत्ता हा। मण सवा-मण रौ भार खळखळौ। बेरा रा जाव सूं बारै निकळतां ईं वा लारै मुड़नै बोली—भार तौ सगळौ म्हारै माथै अर थांरा पग इत्ता दोरा-दोरा क्यूं ऊठै?
सीरवी कीं जबाब देवणी चावतौ पण उण सूं बोलीजियौ कोनीं। पछै खुद रा ई मन री बात नै केवटतौ थकौ बोल्यौ—हाथां खोदियोड़ा बेरा नै छोडतां जीव कठमठौ व्है।
सीरवण कह्यौ—अबै जायनै नेहचौ व्हियौ। म्हैं तौ जांण्यौ के बात कीं दूजी है। पण बेरा में पांणी नीं व्है, जिणरौ तौ अपां ईं कांईं करां! जे उण में पांणी रौ मथारौ नीं आवतौ तौ अपां मरियां ईं इण बेरा रौ ठायौ को छोडता नीं। मरता तल्ला तोड़ां हां। बेरा में पांणी नीं व्है तौ उण में धेंग देय मरणा सूं तौ रह्या!
सीरवी बोल्यौ—हां, आ बात तौ थारी साव साची है। इण संसार में सगळी माया पांणी री तौ है। इण पांणी नै तौ पांणी री मां ईं जायौ। मरणौ आछौ, पण भगवांन किणी रौ पांणी नीं खुटावै।
सीरवण हां-में-हां मिळावती बोली— पांणी रै खूटणा सूं ईं तौ अपां अै फोड़ा भुगतां। आभा में बादळा ई पांणी रौ छेह दै दियौ तौ पछै बापड़ा इण बेरा री कांईं जिनांत! धकलै बरस सै बातां भली व्हैला। बादळा रूसणौ भळां ईं करै पण सरब दुहाग नीं देवै। धकली साल इण इज सागै बेरा में पांणी उमगैला अर सागै ई हाथां अपां बेरौ सींचांला अर साखां निपजावांला। साखां री गळाई म्हारी कूख ई सरसावैला। बेटा रळी मचावता थांरी कड़ियां चढ़ैला। थांनै काका रै नांव बतळावैला।
सीरवी अटकतौ-अटकतौ बोल्यौ—हां, आ बात तौ व्हैला इज। दुनिया में सगळी बातां रौ तुठार आवै, पण आसा रौ कदै ई तुठार नीं आवै। मिनख रा मन सूं आ आसा कदै ई नीं खूटै। औ अधर आभौ आसा रै पांण ई तौ जुगां सूं टिकियोड़ौ है।
पछै वौ सीरवण रै जोड़ै आयनै कह्यौ—थूं अबै थाकगी व्हैला। ला औ भार म्हनै देदै।
सीरवण कह्यौ—इण भार रौ सोच थें मती करौ। फगत खाथा-खाथा हालता रैवौ। म्हैं यूं सोरै-सांस थाकण वाळी कोनीं।
अर हालतां-हालतां धणी लुगाई नै सिंझ्या पड़गी। अेक गहर-घुमेर पींपळी रै हेटै दोनूं बिसाई खावण बैठा। आथूंण दिस सांम्ही हळका सिंदूरिया रंग री सिंझ्या फूटण लागी ही। सीरवी उणमणा भाव सूं पूछ्यौ—अबै टाबर अपांनै उडीकता व्हैला। रात ढळियां तौ वै अवस रोवैला। कोई दयावंत वांरौ रोवणौ सुणनै लेय जावै तौ नांमी कांम बणै।
सीरवण अेक ऊंडौ निस्कारौ न्हाकतां बोली—इत्ता अळगा आयग्या तौ ई हाल थांरा हिया में वा ई कळझळ माचै है। अैड़ौ ई हेज उमड़तौ व्है तौ पाछा वळ जावौ। अजै तौ कीं कोनीं व्हियौ।
सीरवी घांटी हिलावतौ बोल्यौ—म्हैं पाछा हालण रौ कद कह्यौ। पण मन में टाबरां रौ झुरावौ कठै ई न कठै साल्है है। घणौ ई काठौ रैवूं तौ ई ओळूं फड़फड़ायां टाळ को मांनै नीं।
आंगळियां रा कटका काढ़ती सीरवण बोली—औ तौ फगत थांरा मन रौ निबळापणौ है। अैड़ौ कंवळौ काळजौ तौ कबूड़ा रौ ई नीं व्है।
अर उठीनै झूंपा रै मांय सिंझ्या रौ अंधारौ रिसण लागौ तौ अटपटी वांणी में छोटकियौ भाई पूछ्यौ—सिंजा पलणा में अबै कितीक देल है? काका-काकी कणाक आवैला?
भाई नै खोळा में रमावती बैन बुचकारनै कह्यौ—सिंजा तौ काका-काकी लै आवणा सूं ईं व्हैला। वांलै बिना आयां तौ सिंजा कीकल पल सकै!
रात आधी ढळियां वौ फेर पूछ्यौ—तांईं सिंजा व्हैगी?
बैन उणनै थेपड़तां-थेपड़तां कैवण लागी—सिंजा पलती तौ काका-काकी आय नीं जाता। हाल सिंजा पलणा में घणी देल है।
अर उण झूंपा में आखै बरस कदै ई सिंझ्या पड़ी ई कोनीं। वां दोनूं बाळकां रौ औ अडिग विसवास हौ के सिंझ्या पड़ती तौ वांरा माईत अवस आवता। छींका में रोट्यां अर राब ही अर टिमची माथै पांणी री मटकी ही। पण दोनूं चीजां ईं बारै महीनां लग उबरती पड़ी रीवी। नीं वांनै कदै ई भूख लागी अर नीं वांनै कदै ई तिरस लागी। बैन घड़ी-घड़ी भाई नै पूछ लेवती—भूख लागै तौ म्हारा वीला थूं लोजै मती, छींका में लोट्यां पली है। तिलस लागै तौ थूं लोजै मती, मटकी पांणी सूं भली है। पण भाई नै नीं तौ कदै ई भूख लागी अर नीं कदै ई तिस लागी अर नीं वौ कदै ई रोयौ।
घड़ी-घड़ी वौ बैन नै पूछ अवस लेतौ—
हाल सिंजा कोनीं व्ही कांईं? अर बैन हर वगत अेक ई जबाब देवती—कठै व्ही! सिंजा व्हैती तौ काका-काकी घलै नीं आय जाता।
बाकी सगळी दुनिया में तौ वगत परवांण नित दिन ऊगतौ, नित दिन आथमतौ अर नित सिंझ्या व्हैती, पण वां दोनूं बाळकां रा झूंपा में बा’रै महीनां लग कदै ई सिंझ्या नीं व्ही।
पूरा अेक बरस रै उपरांत रितुवां रौ गेड़ौ पूरौ व्हियौ। सांवण-भादवा रा महीना में भुरजाळा बादळा धरती माथै ओलरिया तौ वै ओलरिया के बात छोडौ। जांणै समंदर ई ओटै व्हैगौ। माळवा सूं दोनूं लोग लुगाई अणूंता उमाया आपरै ढांणा री सोय करी।
बादळां रै पांणी रौ परस पातां ईं धरती जांणै मूंडै बोलण लागी। सीरवण रा खोळा में चार महीना रौ नैन्हौ बाळ हौ। आभै रा बादळां में मीठौ पालर पांणी हौ। सीरवण रै हांचळां इमरत रै उनमांन मीठौ दूध हौ। हुळसियोड़ी धरती नै वा ठोकरां मारती, फटकारा देवती चालती ही।
बेरा रा जाव रै पाखती आवतां ईं जद सीरवण री खाक मांयलौ पिचियौ रोयौ तौ उणरौ रोज सुणनै सीरवी री आंख्यां में आंसू छळक आया। वौ गळगळा कंठ सूं बोल्यौ—थारौ काळजौ अणूंतौ लांठौ है। अर म्हैं अणूंता डरकण सुभाव रौ हूं। अबै तौ वै दोनूं सूखनै खेलरौ व्हैगा व्हैला। पैला झूंपा में जाय थूं वांनै बा’रै फेंकजै। म्हारा सूं नीं फेंकीजैला। म्हारै माथै इत्ती दया वळै करदै तौ म्हैं थारौ औसांण जलम-जलम नीं पांतरूं।
सीरवण गडका सूं कैवण लागी—इण में दया अर औसांण री कांईं बात! धणी रौ कैणौ तौ लुगाई नै मांनणौ ई पड़ै। म्हनै नींतर ई झूंपा रौ सगळौ फूस-वाइदौ काढ़णौ ई है। इण में हीमत जैड़ी कांईं बात! थें नैनिया नै थोड़ी ताळ रमाजौ, म्हैं सगळौ कांम आछी तरै सलटाय देवूंला।
सीरवण हचां-हचां अर सीरवी धूजतै पगां झूंपा रै पाखती पूगा तौ वांनै मांय सूं बातां री कीं सुरपुर सुणीजी। कांनां माथै अेकाअेक भरोसौ नीं व्हियौ। देख्यौ कूंटा में करनाळौ है ज्यूं घाल्योड़ौ हौ। आंख्यां माथै ई अेकाअेक वांनै भरोसौ नीं व्हियौ। कठै ई भूत-पलीतां री आ लीला तौ नीं है? कुदरत रै चाळां रौ कोई पार है भलां!
सीरवण कांन देय सुणण लागी। मांय झूंपा सूं अेक छोरा री आवाज सुणीजी—बाई, हाल सिंजा नीं व्ही कांईं? काका-काकी हाल तांई क्यूं नीं आया?
छोरी लाड सूं बुचकारतां जबाब दियौ— म्हारा वीरा, हाल सिंझ्या कठै व्ही। सिंजा व्हैती तौ काका-काकी अठै आता कोनीं। थूं थोड़ौ नेठाव राख। वै अपां दोनां रै न्यारा-न्यारा खुणखुणिया लावैला।
छोरै कह्यौ—वै दोनूं ईं खुणखुणिया म्हैं लेवूंला।
छोरी उणनै थेपड़ता कैवण लागी—दोनूं ईं थूं लै लेजै। थारा सूं खुणखुणिया वत्ता थोड़ा ई है। थनै तिस लागै तौ म्हनै कै देजै, भूख लागै तौ म्हनै कै देजै। टिमची माथै मटकी भरी पड़ी है। छींकै रोट्यां अर राब पड़ी है। कित्तौ सैणौ है म्हारौ वीरौ!
सीरवण रै कानां जांणै कोई कळकळतौ तेल उंधाय दियौ। पाखती ई सीरवी इचरज में चमगूंगौ व्हियोड़ौ ऊभौ हौ। उणरा मन में हरख वत्तौ व्हियौ, दुख वत्तौ व्हियौ के इचरज वत्तौ व्हियौ, उणनै खुद नै इण बात रौ चैतौ नैड़ौ-आधौ ई नीं हौ।
सीरवण अंतावळी में करनाळौ बारै काढ़ियौ। झटकौ देय कूंटौ खोलियौ। कूंटा री खड़खड़ाट सुणतां ईं दोनूं भाई-बैन खुसी में ताळियां बजावता नाचण लागा—सिंजा व्हैगी, सिंजा व्हैगी। म्हांला काका-काकी आया, खुणखुणिया लाया!
खुणखुणियां रै बदळै दोनूं भाई-बैनां रै गालां माथै वा तड़ाच करती दोय थपड़ां झाटकी। डाकण री गळाई रीस में किड़किड़ियां चाबती बोली—दुस्ट, लेहणातियां थें हाल म्हारै भाग रा जीवता हौ, मरिया कोनीं! थां बेगड़ा नै तौ मौत ई गळै नीं लगावै!
मां रौ इत्तौ कैवणौ व्हियौ अर दोनूं टाबर गरणाटी खायनै अजेज हेटै गुड़ग्या। मां रौ औ विकराळ रूप देखनै मौत वांनै तुरंत गळै लगाय लिया। बाप वांनै घणा ई झंझेड़िया तौ ई वै आंख्यां नीं खोली।
हांडी में फूलण आयोड़ी राब मार धिधकती ही! सोगरां में उदई रा ढेपा थेथड़ीजग्या हा। अर टिमची माथै पड़ी मटकी रौ पांणी सगळौ मटकी में ईं खूटग्यौ हौ। जे पड़ी-पड़ी मटकियां, यूं पांणी चूस जावै तौ तिरसां मरता गळां रा कांईं हाल व्हैला?