सीधो-साधो हमज़्यो वाको बणी ग्यो,

भाजगेडं कुटवा नौ पाको बणी ग्यो।

ऊंसी-पूसी वातें फाकवा में घणो तैज़,

वडारां नी दलाली में काको बणी ग्यो।

कालै वाळा बारा-भौरा छौरा नै ज़ौवो,

आजे फैर मल्यो तं भडाको बणी ग्यो।

रौज़ पाणा तोकवा नै पाणा'ज़ खावा,

टापरी नौ जीव हूको-थाको बणी ग्यो।

सरकार हामा हाथ घणायैं जोड्या,

थाकी-पाकी ने पसै लडाको बणी ग्यो।

स्रोत
  • सिरजक : छत्रपाल शिवाजी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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