मनख ने मनख नी'ज औरखण नथी आजै,

हुता नै जगाडे अेवू भासण नथी आजै।

कैक तं खवाना थकी अेठवाडो वधारे,

कयाक कनै खवा हारू कण नथी आजै।

देसावरी फैसन मंय खोवाई ग्यो जमारौ,

जौनी बाप-दादा वारी पैरण नथी आजै।

खारीलौ, वैरीलो, जैरीलो बण्यो आदमी,

डंक यो'ज मारै भलै फण नथी आजै।

हगु भी अवे तं खाली क्हेवा नूं'ज रयू है,

वैवाई नथी आजै अर वैवण नथी आजै।

मुंडा में झाग लईनै पौमातो फरै है,

घंर में पण लेम्बडा वारु दातंण नथी आजै।

स्रोत
  • सिरजक : छत्रपाल शिवाजी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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