आपरै सिर ताज दीसै, मांयली मस्ती कठै?
जकौ सपनां नै सजा देवै, इसी बस्ती कठै?
राज रै पासै सूं कै दौलत सूं दो आंगळ मिळै
पल पड़ै जितरी, इती सुख री घड़ी सस्ती कठै?
आज कर लौ बेदखल म्हांनै नै कालै देख लो
म्हांरी बेदखली कठै नै आपरी हस्ती कठै?
टूट जावां म्है भलै, नामून नम काढ़ां नहीं
तन भलैं चींथीज जावै, हौंसला-पस्ती कठै?
आंगणै जौ आपरै आया, फकत इण कारणै
औ सरीरौ गस्त देवै, आतमा गस्ती कठै?