शुभ दिन री शुरुआत बावळी

देख हुई परभात बावळी

क्यूं तूं पुड़द उघाड़े पाछा

पात-पात में पात बावळी

कद तन पूछे चाँद चकोरी

अंतर मन री बात बावळी

चालां बता देस बो चकवी

जठे हुवे ना रात बावळी

दूर गगन देख्यां खुश कायी

बिन चंदे कुम्हळात बावळी

मुखड़े पर मुस्कान घणी पण

घट में ल्हादे घात बावळी

चोखी नहीं चाळ अर चुघरे

अळगा रख उत्पात बावळी

मत भर आँख कदै नहीं आछी

बे मौसम बरसात बावळी

कुण सूं प्रीत लगावे गाफिल

जग जोग्यां री जात बावळी

स्रोत
  • सिरजक : गोकुलदान खिड़िया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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