सांच सूं इंकार कर रह्या है, युधिष्ठिर।
झूंठ रो सतकार कर रह्या है, युधिष्ठिर॥
शकुनियां रै सामणै गरदन झुकायां —।
वफा रो इजहार कर रह्या है, युधिष्ठिर॥
द्रौपदी नै नगन होतां देखकर भी —।
अणदेखी सौ बार कर रह्या है, युधिष्ठिर॥
बगत हैं दुर्योधनां रो कीरति गायक —।
और जय जयकार कर रह्या है, युधिष्ठिर॥
ही कदे नफरत जिना नै कीचकां सूं।
अब उना नै प्यार कर रह्या है, युधिष्ठिर॥
‘कस’ सूं केशव प्रताड़ित हो रह्या है —
हरष रो इजहार कर रह्या है, युधिष्ठिर॥
कौरवां रै सामनै मतदान में अब —
पराजय स्वीकार कर रह्या है, युधिष्ठिर॥