प्रीत रो दुसमण जमानो है तो है
आपां नैं रिस्तो निभाणो है तो है
घूंघटै री ओट रा दिन नीं रह्या
अबै ओ पड़दो हटाणो है तो है
रात नै भंवरो कमल में कैद हो
प्रीत भी जे कैदखानो है तो है
दुनिया दौलत तिजोर्यां में भर री
प्रीत पण म्हारो खजानो है तो है
राज हिवड़ै में रैवै नीं घणा दिन
अेक दिन सै नै बताणो है तो है
सूर, तुलसी और मीरां री तर्यां
प्रीत में जे डूब जाणो है तो है।