म्हैं जाणू के म्हारौ राम

आज अजाणा, जाणै राम

मिनखाई री रीत बदळगी

समझै हक नै नेक-हराम

चावौ नहीं आप रै कारण

नांव बापड़ौ खुद बदनाम

मैनत कियां चुणै कद बंगला

भरौ हाजरी करौ सिलाम

निबळाई है हमैं काम री

लीडर बण्या, पूगग्या धाम

‘लाल’ गजल में आंच अणूती

डोफा रै दूणौ दै डाम।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत अप्रैल 1980 ,
  • सिरजक : लालदास ‘राकेस’ ,
  • संपादक : सत्येन जोशी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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