मैंदी रा मांडणा अर प्राणां री हथाळी

स्रिस्टी रा गाजा-बाजा बजावै है ताळी

बिगसै आपो-आप मांयलै उमाव सूं

कुण करै है माटी मांय बीज री रुखाळी?

राहू बाबू! सोरौ कोनी सूरज नैं ढाबणो

जाड़-फाड़ बारै निकळै देवतो दकाळी

बांस रो है राग-रस अर सुरंग रो नाद-रस

होठ रस छळकावै है सोमरस री प्याली

जलम सूं पैला जेळ गरभ में भोगै पण

हार कोनी मानै, भांगै काळ री कुपाळी

जीव मरै, मरै-जीवै पण रैवै सासता

जम रा जमदूत जावै खांवता भुंवाळी

मैंदी रा मांडणा अर प्राणां री हथाळी

स्रिस्टी रा गाजा-बाजा बजावै है ताळी

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली राजस्थानी लोकचेतना री तिमाही ,
  • सिरजक : सुमन बिस्सा ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी संस्कृति पीठ
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