छुलेड़ा कांधां सूं भीड़ नै छेकर्‌या है लोग,

भाजर्‌या पग आगलां पर टेकर्‌या है लोग।

सड़क रा हादसा नै एक तमासा री जियां,

तीसरा माळा सूं उबा देखर्‌या है लोग।

राजपथ रै च्यांनणां रै पाप री काळूंस,

फुटपाथां री पूठ मांथै लेपर्‌या है लोग।

भीड़ में सूझै कठै नाचीज आदमी,

महानगर में दूरबीण सूं देखर्‌या है लोग।

आपसी साखां रा अदचिप्या पोस्टर,

थूक सूं नितकी अठे चेपर्‌या है लोग।

भायलां री छात री होळी मना’र

सीळी पड़ती हथेळ्यां ने सेकर्‌या है लोग।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत जून 1981 ,
  • सिरजक : रामस्वरूप परेश ,
  • संपादक : राजेन्द्र शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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