रूप का, रस का भर्या भण्डार की बातां करां
ज्ञान कै कूचो लगा, कलदार की बातां करां
सत्तवादी देस का, बिकग्या मसाणां में
धरम आगो बाळ, क्यूं बेकार की बातां करां
मल्यो काईं? जूण झूंकी जग-भलाई में
भरम-भूंजा छोड़, आ, घरबार की बातां करां
घर गिरस्ती छै, सबी का पेट भरणा छै
पांच द्यां अर सात ल्यां, बोपार की बातां करां
घणा चपकाया टकट, तनखा घणी चाटी
फटफट्यां सूं तरस ग्या, अब कार की बातां करा
बावळ्या बण ग्या पराई लीक नै ढोतां
धार में भडक्या घणा, अब सार की बातां करां