किणी नै बणाय थूं आपरो,

पंछी नै लागण दे बायरो।

जे करणो की नूवों थनै,

तो दिवळो ले ले हाथ में।

जीवण रो सार जाणणो,

तो करणो है नितनुवो थन्नै।

भूल सूं पड्यो उंदै गेलै

तो पलटणी है चाल थन्नै।

पराई आस कद तांई करसी

मैणत पूरी करणी थन्नै।

पलट दै बैमाता रा लेख

अर की करणो अजूबो थन्नै।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली गजल विशेषांक ,
  • सिरजक : सुशील एम.व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ
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