जी देख रह्यो हूं न जिगर देख रह्यो हूं।
दरअसल थारी तिरछी निजर देख रह्यो हूं।
जळतो हुयो घर अर आ रोंवती थकी बेवा
देख्यो नीं जावै है मगर देख रह्यो हूं।
दुनिया में आ’र म्है चौफेर देख रह्यो हूं
बदळयोड़ी आ दुनिया री निजर देख रह्यो हूं।
कैसो ओ बदळाव है ओ इन्कलाब है कैसो
हर सख्स लूटेरो है चौफेर देख रह्यो हूं।
खाली नीं जावै है कदैई गरीब रो रोणो
कब तांई नीं होवै है असर देख रह्यो हूं।