मिनखां में वो चाव कठै

चौपाळां में न्याव कठै

मन में राखै पाप घणो

प्रेम तणां दरसाव कठै

अेक दूजा री टांग खिंचाई

सोच समझ नेठाव कठै

समदर सगळा भरिया है

पण हेतां री नाव कठै

पैलवान बणिया है मोटा

तो खेलण नै डाव कठै

खेती तो व्हैगी चोखी

पण फसलां रा भाव कठै

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली लोकचेतना री राजस्थानी तिमाही ,
  • सिरजक : अब्दुल समद राही ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति पीठ
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