घणो काळज्यो खायो म्हारा जालम जी

अब तो सूंळा चालो म्हारा बालम जी

घर में डालो भर्या टाबरां को कुनबो

गणती की रोट्यां में खैंचा खैंचण जी

गळ्या छींतरा हो ग्या पोत सबाका का

रेसम की साड्यां की दे रया छो दम जी

हड़क्या होग्या सबी रुखाळा खेतां का

नोट पोटळ्यां सूं पटको तो बी कम जी

सेळा पड़ गया पुआ-पापड़ी का छबल्या

दूबर होगी मालपुआ की सोरम जी

अस्या बोट ठूंस्या चुणाव की पेटी में

थाणादार दबावै, खावै हाकम जी

सांचा भीडू खड्या नंगारा गारा का

नाजोगां की घणी बछाई जाजम जी

सपना में जीतैगा किलो सेरगढ़ को

कळजुग में सोबा को घणो महातम जी

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : शांति भारद्वाज 'राकेश' ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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