घड़ी दो अेक बैठज्या घर बारच की बातां करां
थारी म्हारी छेड़के निज सार की बातां करां
जनम-मरण-परण सात्यों जात में,
बदळतै समाज संस्कार की बातां करां।
रक्त्या भैरूं, माताजी, बधावा भाई बीर का
गाल-गीत भूलता त्यौहार की बातां करां।
भाई सूं भाई लड़ै आदर नहीं मां बाप को
बदळता लोगां का व्यवहार की बातां करां।
बैण के पहरावणी, बेटी का ब्याऊ पास में
बी.ए., एम.ए. बेटा का रुजगार की बातां करां।
बाबा थारा देस में बम्बां की बरसात छै
सुणता टी.वी. रेडियो समाचार की बातां करां।