हिये में हेत उपजायां मिनख री जात परखीजै

अणूतै आखरां री भीड़ में कद बात परखीजै

मुळकणो मोकळो आछो परख कोठै री होटां पर

निजर में नीम घुळतांई पुड़त में घात परखीजै

बिहूणै हेत रे हित आंख री पोथी नै बांचै तो

बिलखती आस रा औसार ढळती रात परखीजै

निमाणा नैण पुरसी बानगी दो च्यार मोत्यां री

पलक रा पावणा मुळकै ढळै जद बात परखीजै

भरम रा भूत मिनखां री मती नै रोज चंचेड़ै

अणूती टाकरां पण हाण-हार्यां मत परखीजै

स्रोत
  • पोथी : अंतस तास ,
  • सिरजक : मोहम्मद सदीक ,
  • प्रकाशक : सलमा प्रकाशन
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