इब भेळा परिवार कठै है

दो भायां में प्यार कठै है

कर मनवार जीमावण वाळी

मुसकाती घर नार कठै है

पट खोल्यां सत्कार करणिया

डोढ्यां, पोळां, द्वार कठै है

बूढा माईत सेवा सारू

बेटा-बहू त्यार कठै है

कंगण नीं खणकै हाथां में

पग पायल झणकार कठै है

सूना कान अडोळो माथो

कनक गळै में हार कठै है

भेख सिंघ रो हुयां हुवै के

कंठा बिचै दहाड़ कठै है

बातां तो है और मोकळी

कैवण में पण सार कठै है।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : शंकरलाल स्वामी ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरुभूमि शोध संस्थान (राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़)
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