कै’ठा किण नै जोवै नैंण।
चैन हियै रो खोवै नैंण
दिन तो बीते बाट जोवतां।
रातां भी नी सोवै नैंण॥
पलकाँ सूं मोतीड़ा टपकै।
जाणै माळा पोवै नैंण॥
नी है भरोसो इण नैंणां रो।
हंसता—हंसता रोवे नैंण॥
परदेसी नै झुरतां—झुरतां।
जोत आपरी खोवै नैंण॥
मैं’फिल—मैं’फिल सूनी लागै।
कोई रूप नी मोवै नैंण॥
पाणी रा परनाला बैवे।
जदै बिरह में रोवै नैंण॥
पण जद सामेळा हो जावै।
अठी—बठी क्यूं होवै नैंण॥
अटकी निजरां बाटाँ में ही।
किण रौ रस्तो जोवै नैंण॥