धन रा लोभी बात बदळ दी,

रिपिया खातर जात बदळ दी।

सिंझ्या रा बै दीवी जुबानां,

कांम पड़िया परभात बदळ दी।

रावण ने भी मात देयग्या,

अेक मूंडो दस बात बदळ दी।

धिन रिपिया थारी थळवट ने,

मिनखां री मरजाद बदळ दी।

म्हें तो सत रा आखर बोया,

चोर कवि री भांत बदळ दी।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : श्रवण दान शून्य ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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