सैंग भरम बिसराणा पड़सी!
दीवा फेर जगाणा पड़सी!
बाग उजड़ियां’ ओजूं बूंटा
हरिया करस लगाणा पड़सी!
ऊगैला नीं आप भरोसो,
अैड़ा बीज खिंडाणा पड़सी!
निज रा घाव मती उगटावो,
जग सूं घाव लुकाणा पड़सी!
जिण रै घोबा घाल्या, उण रै
फूंवा जाय’ लगाणा पड़सी!
आपस रा अळसेट-अळूझा,
रळ-मिळ’ स्सै सुळझाणा पड़सी!
जीणै रो हक सब नै, राजिंद
अैड़ा गीत सुणाणा पड़सी!