कपट कळदार घणा।
हुया हुशियार घणा॥
हाथ हथियार घणा ।
किया है वार घृणा॥
मार पाछो जिवायो,
आप दिलदार घणा॥1॥
नाव पतवार नहीं,
सपन उण पार घणा॥2॥
काम कीकर करीजे,
बण्या करतार घणा॥3॥
परख कीदी परी म्हैं,
रतन रुळियार घणा॥4॥
कळू कीकर कटैला
अठै अवतार घणा॥5॥
करी क्यूं भीड़ इती,
कांधिया चार घणा॥6॥
सुणण नै गजल, फिरै,
लाल रे लार घणा॥7॥