क्यूं म्हे किण री बात करां।
सोची कहतां घणा डरां।
माड़ो बखत घण आयो,
फूंक-फूंक म्हे पांव धरां।
बेमतलब कुण बात करै,
क्यूं म्हे झूठी आस करां।
भलो बुरो सै जाणै है,
क्यूं किण सूं बकवास करां।
हाथ, हाथ ने खावै है,
किण रो म्हे विश्वास करां।
बतलावण सूं पैला’ ई
म्हे बाबू रै भेंट धरां।
निवड़ी लाज जमानै री,
टीवी देखां लाज मरां
ढूंढ्या राम मिल्या कोनी,
रावण मिलग्या घरां-घरां।