चोर उचक्का ताकै चौतर, जाग्यां पार पड़ैली।
खुद रो जीवण खुद रै थोगे, थाग्यां पार पड़ैली।
जिनगाणी रै उथल थड़ां में बीत्यो दिन सारो
मंझ अंधेरी रात दीवटो जोयां पार पड़ैली।
मन री बाजी हार खुणै में रोयां कै होवै
हिम्मत सूं पग राख जगत में चाल्यां पार पड़ैली।
हाथ कमाया काम आपणा किणनै दोस दिरावां
पांती आई पीड़ भायला भोग्यां पार पड़ैली।
ललड्यां रै ज्यूं रोज उछरबो जीणो भी कै जीणो
जोर जताबा बोल हंहिसा लाग्या पार पड़ैली।