अस्त्र सस्त्र सिण्गार हुवै है, सीमा पर

माथां री मनवार हुवै है, सीमा पर

नाड़ भलांई कटज्या नाड़ झुकै कोनी

मौत गळै रो हार हुवै है, सीमा पर

जळमभौम रै तांईं सीस कटावणियां

सूरां री दरकार हुवै है, सीमा पर

कदे-कदे तकरार हुवै है, सीमा पर

सदां जीत या हार हुवै है, सीमा पर

चल्या तीर तलवार कदै होगा लेकिन

आजकाल बम्बार हुवै है, सीमा पर

दुसमण री छात्यां दहळा देवण हाळी

सिंघां री हुंक्कार हुवै है, सीमा पर

‘ताऊ’ रण में पीठ दिखावणियां कायर

सचमुच में हीं भार हुवै है सीमा पर

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली गजल विशेषांक ,
  • सिरजक : ताऊ शेखावाटी ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ
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