बीती बातां मत दोहराव,
तूं अपणा मन नै समझाव।
आंसूड़ा ओटां में राख,
मुळकण मूंडा पे दरसाव।
होय गयो सो होय गयो,
कीं करणो उण रौ पछतावो।
पाणी री बातां कर—कर,
थूं मरुथळ नै मत तरसाव।
गागर में सागर बण जा,
कर खुद में जग रौ विग्साव।
जाण ले कस्तूरी रो भेद,
मन रा मृग ने मत भटकाव।
मेट गरब इण दिवला रौ
'किरण' अंधारा ने चमकाव।