कीं थारी, कीं म्हारी बातां

अैङी ही है सारी बातां

भांत-भात री बातां होवै

कीं मीठी कीं खारी बातां

म्हारी थांरी, थांरी म्हारी

झगङै री है सारी बातां

बातां करणो अेक कला है

लोग करै दोधारी बातां

बगत काटणो चावो हो तौ

कर लो थांरी म्हारी बातां

वो आदमी भलो कहावै

जकौ करै दुनिया री बातां

बातां रो तुंडो नीं आवै

बातां कर कर हारी बातां

लोगां नै तौ बातां प्यारी

कांई करै बिचारी बातां।

स्रोत
  • पोथी : अंतस रौ उजास ,
  • सिरजक : रज़ा मोहम्मद खान ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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