बड़बोलां रो जोर भायला

बस बातां रो शोर भायला

मंचा पे पंचा रो कब्जो

नूंवी ढूंढलै ठोर भायला

मुखिया कांई करै रुखाळी

जद घरका ही चोर भायला

साख जमाबा खातर करता

दौरा ऊपर दोर भायला

हुई किणरै काजळ सूं काळी

बुसट नूंई नकोर भायला

भायलां री भड़ सूं बोलै

रामदयाल सिरमौर भायला

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : अक्टूबर-दिसंबर 2021 ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरुभूमि शोध संस्थान (राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़)