और सब कुछ ठीक है, चिंत्या करियो, गांव में

चल रयो सब नीक है, चिंत्या करियो, गांव में

बिजळी-पाणी री समस्या तो इयां ही चाल सी

कुण मरै है? आप तो बिल्कुल डरियो, गांव में

जीतग्या, संसद संभाळो भूलकै भी थे कदै

अब चुनावां स्यूं ना पैल्यां पांव धरियो, गांव में

‘परतिये री मां मरी है भूख स्यू बात नै

समझ लेसी आपणो सरपंच हरियो, गांव में

मिल गयो है डाक स्यूं थारो भिजायोड़े अठै

आसवासन स्यूं भर्‌योड़ो अेक खारियो, गांव में

वोट मांगण नै अठै ओजू भी तो चाये कदै

आपनै भी मालकां! कोई तो जरियो, गांव में

ईं लिये ही तो बठै व्हांरी हवेली बण गई

पण गरीबां रो बण्यो नीं अेक घरियो गांव में।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली गजल विशेषांक ,
  • सिरजक : ताऊ शेखावाटी ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ