आओ खेलां खेल, भायला!

धूड़ सूं काढ़ां तेल, भायला!

झाज चलावां धोरां माथै

अर पाणी में रेल, भायला!

राज दिरावां चोरां नैं अर

साहुकार नै जेळ, भायला।

बलधा नैं दू’वां, गायां रै

घालां नाक नथेल, भायला!

झट छिटकाय छटांकां नैं ल्यां

मणां मणां नैं झेल, भायला!

थाप घड़ी भर बगतो लश्कर,

बै ‘तो पाणी ठेल भायला!

पास करां आळस-काळस नैं

मोकळी मैणत फेल, भायला!

खावां मुंबई रा रसगुल्ला

कलकत्तै री भेळ, भायला!

घर लिछमी नैं मारां कूटां

पूजां रांड रखेल, भायला!

कीड़ी नैं मारां छर्रे सूं

मारां शेर गुलेल, भायला!

घर रो बाग उजाड़ बधावां

बैरीड़ा री बेल, भायला!

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली गजल विशेषांक ,
  • सिरजक : श्याम गोइन्का ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ
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