परंपरागत शैली रा कवि
डिंगल, पिंगल अर छंद परंपरा रा वै कवि जिका आधुनिक काल में पंरपरागत शैली में आपरी सिरजण जातरा सूं राजस्थानी साहित्य नै पोखै, इण खंड में वां रो टाळवो साहित्य-संग्रै सामिल है।
डिंगल, पिंगल अर छंद परंपरा रा वै कवि जिका आधुनिक काल में पंरपरागत शैली में आपरी सिरजण जातरा सूं राजस्थानी साहित्य नै पोखै, इण खंड में वां रो टाळवो साहित्य-संग्रै सामिल है।
मेवाड़ रा आधुनिक समै रा सिरै कवि। भगती-निति रा दूहा अर पदां सारू चावा।
चावा कवि-संपादक।
सिरैनांव कवि-संपादक। डिंगल रै सिरमौर अर अलक्षित कवियां माथै विशेष काम।
युवा अर ऊरमावान कवि।
नूवी पीढ़ी रा कवि। 'इण धरती रै ऊजळ आंगण' कविता संग्रै माथे केन्द्रीय साहित्य अकादमी रौ युवा पुरस्कार।
चावा कवि। डिंगल काव्य में लगोलग लेखन।
ख्यातनांव कवि-संपादक। रचनावां में स्वछन्दतावाद रो खासो प्रभाव। राजस्थानी शोध संस्थान रा संस्थापक।
आधुनिक काल रा डिंगल कवि। हल्दीघाटी युद्ध रा वीर झाला मानसिंह रै पराक्रम ने आधार बनाय'र 'मर्द मकवांण' नांव रै खंड-काव्य री रचना लिखी।
मेवाड़ रा राजकवि अर वीर रस रा सिरै कवि रूप चावा। वीर सतसई, हाड़ी शतक, झाला मान शतक आद घण महताउ रचनावां रा सिरजक।
सिंध रै ढाट खेतर में जलम। तकनीक अर संसाधनां सूं दूर। छंदां माथै खास पकड़। सिंध री प्रेम कथा माथै ‘मारूई रोई मती’ खंड काव्य रो काम।
नूवी पीढ़ी रा कवि।
राजस्थानी कविता री परंपरागत शैली रा चावा कवि।
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