सुण-सुण री अम्मा, बाबू जी आवेगा दीतवार ने।

चि में पढ़ले लिख्या आबा का समाचार ने।

महीनां को पहलो संडे छ, तनख्वा लेके आवेगा।

भाया बूसठ को कपड़ो म्हारे चपलां लावेगा।

ज्यूं कुंवाड़ की सांकळ बाजे, दौड़ी जाऊं बारणे।

सुण....॥

बाणियां को हिसाब करणो, अब उधार नहीं देवेगो।

दूधवाळो दो महीनां को अब तो पीसा लेवेगो।

तंग आया खर्चा सूं अबके बन्द करजे अखबार ने।

सुण.....॥

डाक्टर के अस्पताल में दादाजी हीं दिखावेगा।

द्वाई दारू, म्हारी फीस भी अबतो भरके जावेगा।

कापियां किताबां पूरी नं आई सहूं मेडम की मार नैं।

सुण....

दीदी के घर बार देखबा चाचा संग में जावेगा।

साल तो शादी करणी पक्की करेक आवेगा।

भाया की बोलारी में भी जिमांदे दो ही चार ने।

सुण सुण री मम्मी पापाजी आवेगा दीतवार ने।

स्रोत
  • पोथी : कळपती मानवता मूळकतो मनख ,
  • सिरजक : रामदयाल मेहरा ,
  • प्रकाशक : विवेक पब्लिशिंग हाऊस, जयपुर
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