उठ भाई फूसा फूस बुहार, धर कूचां भाई धर मजलां
अळी-गळी करदे गुलजार, धर कूचां भाई धर मजलां।
धरती ऊपर पड़्यौ कूटळी, मिनखादेही लाजै
स्वारथ गेल बावळी दुनियां, बेगी-बेगी भाजै
फुरसत मिलै न यार, धर कूचां भाई धर मजलां
उठ भाई फूसा फूस बुहार, धर कूचां भाई धर मजलां
झाड़ू ल्या साचौ हथियार, धर कूचां भाई धर मजलां।
ऊंच-नीच रौ लोग लगावै, हियै न राखै लाड
औ सगळा मिनखां रा बैरी, गैर परै-सी गाड
न धरती नै दरकार, धर कूचां भाई धर मजलां
उठ भाई फूसा फूस बुहार, धर कूचां भाई धर मजलां
ल्याव फावड़ौ कुळ सिणगार, धर कूचां भाई धर मजलां।
जात-पांत रौ लियां घेसळी, फिरै माधिया भाई
चौड़ै-धाड़ै ठग बण बैठ्या, रापा-रोळ मचाई
झूठा साहूकार, धर मजलां भाई धर कूचां
उठ भाई फूसा फूस बुहार, धर कूचां भाई धर मजलां
ल्या दंताळी आ मोट्यार, धर कूचां भाई धर मजलां।
थे धरती रा पूत लाडला, साची कहतां हरखां
मिणत-मजूरी खरी कसौटी, आता-जाता परखां
थे हौ कामणगार, धर कूचां भाई धर मजलां
उठ भाई फूसा फूस बुहार, धर कूचां भाई धर मजलां
कुटम-कबीलौ आज सुधार, धर कूचां भाई धर मजलां।