रुत अलबेली
दिन अलबेलो
आभो बदळै रंग, बदळगी मिनखाजूण पुराणी
धरती सागण उजळी धोयी, पण है नुई कहाणी
मिणत-मजूरी करै जाटणी, झक मारै ठुकराणी
गरब हिमाळै-रो गळ बैग्यो वण गगा-रो पाणी
नुओं धान है
नुई सान है
खोटो पीसो चल्यो आज तो पाई बंटै न धेलो
रुत अलबेली
दिन अलबेलो...
सर-सर करती पून बधाई बांटे गीत सुणावै
मन में राखी वात न रैवै भोर भळी मुसकावै
टाबर-टोळी फाळी आडै आपस मे बतळावै
मिनख मजूरी करता हरखै बिरथा देव न ध्यावै
डर मत भाई
वीर सिपाही,
बडका म्हनै गैल बताई, पकडो सीधो गेलो
रुत अलबेली
दिन अलबेलो...!