काळी पीळी आंधी आई खंख चढ़ी असमांन रे
धरती अब पसवाड़ौ फेरै जाग मजूर किसांन रे
कुदरत लाल गुलाल उडावै पंछी गीत सुणावै रे
मेड़ी बोलै आज मोरिया, बादळ ढोल घुरावै रे
तरवर झुक झुक मुजरौ लेवै, अनदाता भगवांन रे
धरती अब पसवाड़ौ फेरै जाग मजूर किसान रे
हरियल थारा खेत खड़या है, ढांढ़ा चर चर जावै रे
इमरत भरिया सड़क मतीरा आज गादड़ा खावै रे
चेत बावळा चोर लुटेरा लूटै है धन-धांन रे
धरती अब पसवाड़ौ फेरै जाग मजूर किसान रे
मंड में बोलै आज लूंकड़ा सौ सौ छैन दिखावै रे
बोड बिलायां फिरै कूकती भोळा मिनख डरावै रे
धरती रै बैरयां नै स्यांणा बेगौ आज पिछांण रे
धरती अब पसवाड़ौ फेरै जाग मजूर किसांन रे
छोटौ धांन बडौ है दुसमण आज कातरौ खावै रे
टिड्डी फाकौ नुवै धांन नै देख देख ललचावै रे
बैर्यां नै धरती में गाडौ खाई खोद खदांन रे
धरती अब पसवाडौ फेरै जाग मजूर किसांन रे
रोज रुखाळ पूंजळी बाळद आज ठगां री आवै रे
आंधा पीसै आज जमीं पर बहरा मौज उडावै रे
खोटण लै लै हाथ भायला बांध झूंपड़ा छांन रे
धरती अब पसवाड़ौ फेरै जाग मजूर किसान रे
काळी पीळी आंधी आई खंख चढ़ी असमांन रे
धरती अब पसवाड़ौ फेरै जाग मजूर किसान रे