आली म्हारो काळज्यो क्यों बैठ्यो-बैठ्यो जावै री।
काचो-काचो मन बीरो लेबा नहीं आयो,
म्हारै चालै हचकी रे म्हारे चालै हचकी॥
सावणी मावस बना पिहरिया क सूनी।
राखी तागो कातूं कस्यां गीली-गीली पूणी॥
नैणा नहीं मानै गंगा-जमना बहावे री।
काचो-काचो मन बीरो लेबा नहीं आयो,
म्हारै चालै हचकी रे म्हारे चालै हचकी॥
लीमड़ी पै हींडो घाल्यो गोड्यां लेवे खाली।
पूछै वां को नाम सासू जाई लागै गाली॥
तीजां या त्योहार गीलो गासड़ो न्ह भावैरी।
काचो-काचो मन बीरो लेबा नहीं आयो,
म्हारै चालै हचकी रे म्हारे चालै हचकी॥
दुवाळी की दूज चाहे होळी की मनाऊँ।
बीरा जी की मूरती हिया माहीं बठाऊँ॥
ठंडो-ठंडो हेत चंदो चांदणी सी छानैरी।
काचो-काचो मन बीरो लेबा नहीं आयो,
म्हारै चालै हचकी रे म्हारे चालै हचकी॥